एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने पिछले कुछ दिनों में अपनी सियासत के ऐसे रंग दिखा दिए हैं जिस वजह से एक बार फिर उन्हें भारतीय राजनीति का एक मंझा हुआ खिलाड़ी माना जा रहा है। जिस तरह से पहले इस्तीफा दिया, फिर पार्टी में विरोध प्रदर्शन हुआ और आखिर में इस्तीफा ही वापस हो गया, ये पूरा घटनाक्रम किसी सुपरहिट फिल्म के क्लाइमेक्स जैसा रहा। लेकिन इस एक फिल्म ने अजित पवार के सियासत को कमजोर कर दिया, सुप्रिया सुले की ताकत बढ़ा दी और शरद पवार को फिर एनसीपी का असली बॉस साबित कर दिया।

पवार का दांव और अजित को सियासी झटका

अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि शरद पवार ने जानबूझकर अपना इस्तीफा दिया था या फिर ये किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा था। लेकिन जानकार मानते हैं कि एनसीपी में जो बगावत के सुर उठ रहे थे, जिस तरह से पार्टी में अलग-अलग गुट सक्रिय हो रहे थे, उसे देखते हुए पवार ने सियासी बाण छोड़ा जिस वजह से पार्टी फिर एकजुट भी हो गई और इस्तीफों का दौर भी रुक गया। अब शरद पवार ने तो पार्टी में अपनी पकड़ और ज्यादा मजबूत कर ली है, लेकिन महत्वकांक्षी सपने देख रहे अजित पवार के कुछ समय के लिए ही सही सियासी पंख काट दिए हैं। वैसे भी ये कोई पहली बार नहीं है जब अजित को बड़ा झटका लगा हो।

अजित का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड

2018 में विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने सभी को चौंकाते हुए बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी और 72 घंटे के लिए डिप्टी सीएम का पद भी संभाला था। अब इसमें शरद पवार का कितना योगदान रहा, इस पर विवाद है, लेकिन अजित के लिए तो वो भी एक सियासी फेलियर जैसा रहा क्योंकि उन्हें वापस अपनी पार्टी में भी जाना पड़ा और उनका सियासी कद भी कहीं ना कहीं घट गया। इसका बड़ा कारण ये रहा कि शरद पवार को अपने भतीजे पर वो पुराना वाला भरोसा नहीं रहा।

शरद पवार के मन में क्या चल रहा है?

इस बारे में एनसीपी के ही एक बड़े नेता ने विस्तार से बताया है। वे कहते हैं कि शरद पवार की सबसे बड़ी चिंता ही ये है कि उनकी पार्टी एकजुट रहे, ऐसे में वे कभी भी अजित के हाथ में पार्टी की बागडोर नहीं देने वाले हैं क्योंकि इससे वरिष्ठ नेता नाराज हो जाएंगे। उस नेता ने तो यहां तक कहा है कि अजित की सियासी गतिविधियों पर लगातार नजर रखने के लिए सुप्रिया सुले का इस्तेमाल किया जाता है। इस समय अजित पवार के सामने एक और बड़ी चुनौती है और ये चुनौती उन्हें सुप्रिया सुले से मिल रही है।

सुप्रिया सुले को लेकर पार्टी में क्या स्थिति?

असल में एनसीपी के अंदर ही एक धारणा पूरी तरह सेट हो चुकी है। उस धारणा के तहत एनसीपी के लिए दिल्ली वाला चेहरा सुप्रिया सुले रहने वाली हैं और महाराष्ट्र की सियासत में अजित को सक्रिय रखा जाएगा। अब कहने को अजित को महाराष्ट्र में काफी तवज्जो देने की बात हो रही है, लेकिन उससे ज्यादा तवज्जो सुप्रिया सुले को मिल रही है क्योंकि उनमें भविष्य का एनसीपी अध्यक्ष देखा जा रहा है। ऐसे में अजित के लिए अवसर के कई दरवाजे बंद होते जा रहे हैं, अब आगे वे क्या कदम उठाते हैं, किस तरह से फिर खुद को खड़ा करते हैं, इस पर सभी की नजर रहेगी।