hagat Singh Birth Anniversary: शहीद-ए-आजम भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) का जन्म पंजाब प्रांत के लायपुर जिले के बगा में साल 1907 में हुआ था। 23 साल की उम्र में शहादत को प्राप्त करने वाले भगत सिंह द्वारा अपने आखिरी दिनों में लाहौर जेल से लिखे गए एक-एक खत बाद में इंकलाब की आवाज बन गए और ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भगत सिंह की उस डायरी के पन्ने भले ही अब पुराने हो चले हैं लेकिन उसका एक-एक शब्द आज भी सरफ़रोशी की समां जला देते हैं। आइए पढ़तें हैं उस डायरी को जिसे भगत सिंह ने लाहौर जेल में 12 सितंबर,1929 को लिखना शुरू किया था।
भगत सिंह की डायरी: जिस शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने अपने आखिरी दिनों में लाहौर (अब पाकिस्तान) जेल में ऐतिहासिक दस्तावेज लिखे थे। महज 23 साल की उम्र में देश के लिए अपनी जान देने वाले भगत सिंह को पढ़ने-लिखने में काफी रुचि थी। जेल में उनको 12 सितंबर, 1929 को एक डायरी दी गई थी, जिसमें उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचार लिखे थे। इस डायरी पर जेलर और भगत सिंह दोनों के ही दस्तखत मौजूद हैं। इस ऐतिहासिक डायरी के एक पन्ने पर लिखा है- ‘महान लोग इसलिए महान हैं क्योंकि हम घुटनों पर हैं। आइए, हम उठें।’
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पेज नंबर 177: भगत सिंह की ऐतिहासिक डायरी के पेज नंबर 177 पर लिखा है- यह प्रकृति के नियमों के खिलाफ है कि कुछ मुट्ठी भर लोगों के पास सभी चीजें इफरात (आवश्यकता से अधिक) में हों और जन साधारण के पास जीवन के लिए जरूरी चीजें भी न हों।