Ram Mandir Pran Pratistha: अयोध्या राम मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ अनुष्ठान के तुरंत बाद राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाल्मिकी के रामायण के कई पात्रों का उल्लेख किया। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि कैसे प्रत्येक भारतीय कोशिश से राष्ट्र के उत्थान में योगदान दे सकता है। मोदी ने अपने संबोधन में रामायण के पात्र शबरी, निषाद राज, गुह, एक गिलहरी और जटायु का जिक्र।

शबरी (Shabri)-

रामायण में शबरी एक आदिवासी राजकुमारी हैं, जिसने आध्यात्मिकता की तलाश में अपना घर छोड़ दिया था। गुरु की उसकी तलाश तब समाप्त हुई जब वह मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंची। साल बीतते गए और ऋषि बूढ़े हो गए। जब वह मरने वाले थे तो उन्होंने अपनी शिष्या से कहा कि भगवान राम उनके दरवाजे पर आएंगे और उन्हें आशीर्वाद देंगे। शबरी ने वर्षों तक इंतजार किया, जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या से अपने वनवास के दौरान उनकी कुटिया में पहुंचे। शबरी ने भगवान राम को अपने द्वारा तोड़े गए फल अर्पित किए, लेकिन पता करने के लिए कि वो मीठे हैं। उन्होंने भगवान राम को देने से पहले उन फलों को चखा। लक्ष्मण ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन राम ने इसे शबरी की भक्ति की अभिव्यक्ति के रूप में देखा और उसे आशीर्वाद दिया।

प्रधानमंत्री ने शबरी के विश्वास को देश की क्षमताओं में प्रत्येक भारतीय के विश्वास के बराबर बताया। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी आदिवासी मां शबरी के बारे में सोचते हैं, तो एक अथाह विश्वास जागृत हो जाता है। मां शबरी कहती रहीं, ‘राम आएंगे’। हर भारतीय का यही विश्वास, समर्थ और भव्य भारत की नींव बनेगा। यही देव से चेतना का विस्तार है।

निषादराज (Nishad King Guh)-

इसके बाद प्रधानमंत्री ने निषाद राजा गुह का जिक्र किया, जो गंगा के तट पर एक आदिवासी राज्य के राजा थे। जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या छोड़ने के बाद उनके राज्य में पहुंचे, तो यह निषाद राजा ही थे, जिन्होंने उन्हें नदी पार करने में मदद की।

14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटते समय भगवान राम अपने मित्र निषाद राजा से मिलना नहीं भूले। भगवान राम और निषाद राजा की मित्रता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “प्रत्येक भारतीय के बीच मित्रता की यह भावना ही भव्य भारत की नींव बनेगी। उन्होंने कहा कि यह देव से देश तक और राम भक्त से राष्ट्र तक चेतना का विस्तार है।

गिलहरी (The Squirrel)-

रामायण में एक गिलहरी का उस वक्त जिक्र आता है, जब भगवान राम के समर्थन वाले वानर रावण से मुकाबला करने के लिए लंका तक पहुंचने के लिए समुद्र पर एक पुल का निर्माण कर रहे हैं। जैसे ही हनुमान और वानर सेना के अन्य लोग पत्थर उठाकर पानी में गिरा फेंक रहे थे। उस एक गिलहरी भी उनके साथ काम कर रही थी। गिलहरी इस दौरान अपने मुंह में कंकड़ लेकर समुद्र में फेंक रही थी।

एक वक्त हनुमान ने गिलहरी से कहा कि वह उसके रास्ते में आ रही है। जब गिलहरी ने उत्तर दिया कि वह पुल बनाने में अपना योगदान दे रही है, तो बंदर हंसने लगे। तभी भगवान राम आगे आए और उनसे गिलहरी के हृदय में प्रेम देखने को कहा। भगवान राम ने कहा कि जब बंदर समुद्र में बड़े-बड़े पत्थर गिरा रहे थे, तो गिलहरी जैसे छोटे जानवरों द्वारा लाए गए कंकड़ समुद्र में जगह भर रहे थे। उन्होंने कहा, वानरों को कमजोर और छोटे लोगों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए और उनके योगदान को स्वीकार करना चाहिए।

यह सुनकर वानर शर्मिंदा हुए और भगवान राम ने गिलहरी को धन्यवाद दिया और उसकी पीठ थपथपाई। रामायण में कहा गया है कि गिलहरी की पीठ पर धारियां भगवान की थपकी से आईं।

इस कहानी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में निराशा के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग सोचते हैं, ‘मैं बहुत साधारण हूं’ उन्हें गिलहरी के योगदान के बारे में सोचना चाहिए। यह ऐसी झिझक को दूर करेगी और हमें सिखाएगी कि हर प्रयास, चाहे बड़ा हो या छोटा, उसकी अपनी ताकत होती है। उन्होंने कहा कि यह हर किसी का प्रयास है जो एक महान भारत की नींव बनाएगा।

जटायु (Jatayu)-

रामायण में विशाल पक्षी जटायु ने सीता का अपहरण करने के बाद रावण से युद्ध किया। जटायु ने यह युद्ध तब किया, जब रावण, सीता को लंका में अपने स्थान पर ले जा रहा था। एक वीरतापूर्ण लड़ाई के बाद हारकर जटायु जमीन पर गिर गया और भगवान राम की बाहों में उसकी मृत्यु हो गई। घायल जटायु ने ही भगवान को बताया था कि रावण दक्षिण की ओर चला गया है। जटायु की मृत्यु के बाद भगवान राम ने उसका अंतिम संस्कार किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि लंका राजा रावण बहुत ज्ञानी, अत्यंत शक्तिशाली था। लेकिन जटायु का समर्पण देखिए। उसने रावण से युद्ध किया। वह जानता था कि वह रावण को नहीं हरा पाएगा, लेकिन उसने उसे चुनौती दी। यह कर्तव्य की भावना की पराकाष्ठा है। मोदी ने कहा कि हम सभी लोग प्रतिज्ञा करें कि हम अपने जीवन का हर क्षण राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पिक करेंगे।