पंजाब की पूर्व मुख्य सचिव विनी महाजन की केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय में सचिव के तौर पर नियुक्ति दर्शाती है कि मोदी सरकार ने नौकरशाही की योग्यता का सही तरीके से इस्तेमाल किया है। मोदी सरकार में जिन अफसरों को बड़ी जिम्मेदारियां दी गई हैं, उनमें कई ऐसे हैं जो पूर्व की मनमोहन सिंह सरकार में अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।
दिप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, विनी महाजन के अलावा, मनमोहन सिंह सरकार में अहम पदों पर रहे प्रशासनिक, विदेश और सुरक्षा सेवाओं से जुड़े एक दर्जन से अधिक नौकरशाहों को पीएम मोदी की प्रमुख नीतियों को लागू करने की महत्वपूर्ण भूमिकाएं सौंपी गई हैं। विनी महाजन 2004 से 2012 के बीच 8 साल दिल्ली में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। इस दौरान वह करीब सात साल मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान पीएमओ में संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत रहीं।
ये नियुक्ति इसलिए भी अहम है कि 2019 में ‘नल से जल मिशन’ शुरू होने के बाद से इसकी जिम्मेदारी संभाल रहे आईएफएस अफसर के भरत लाल औपचारिक तौर पर सेवा से रिटायर हो चुके हैं। इन्हें प्रधानमंत्री का बेहद भरोसेमंद माना जाता है। वहीं, भरत लाल सेवानिवृत्ति के बाद अनुबंध के तहत पूर्ण सचिव के दर्जे के साथ भ्रष्टाचार विरोधी निकाय लोकपाल में सचिव बनाए गए हैं।
ये नियुक्ति उन आलोचनाओं पर कुछ हद तक विराम लगाती दिखाई देती है कि मोदी खासकर उन अफसरों को तरजीह देते हैं जो उनके गुजरात के सीएम रहने के दौरान विश्वासपात्र रहे हैं। मनमोहन सरकार में कई अहम पदों पर रहे एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी वी. रमानी का कहना है कि नियुक्तियां मुख्यत: दक्षता और योग्यता पर निर्भर करती हैं। उनका कहना है कि हर प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों का ये प्रयास रहता है कि काम ठीक से हो। यह बिल्कुल सच नहीं है कि निष्ठा योग्यता पर भारी पड़ती है। ऐसे सिस्टम नहीं चलता है।
मोदी के कार्यकाल में कई ऐसे नौकरशाह रहे हैं जो पिछली सरकार में हाई-प्रोफाइल पदों पर जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। अनिल बैजल वैसे ही एक अफसर हैं जो मनमोहन सिंह के कार्यकाल में शहरी विकास की जिम्मेदारी संभालते थे और इस वक्त दिल्ली के एलजी हैं।
पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह सरकार में अपनी सेवाएं दे चुके बीवीआर सुब्रह्मण्यम को 2014 में जम्मू-कश्मीर में मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्त किया। फिलहाल वह, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सचिव के तौर पर कार्यरत हैं।
इसी प्रकार, 2017 में राजमार्ग सचिव के तौर पर पदभार संभालने के लिए नई दिल्ली लौटने से पहले पश्चिम बंगाल-कैडर के आईएएस अफसर संजय मित्रा ने मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान पीएमओ में संयुक्त सचिव के तौर पर सेवाएं दीं। इसके बाद वह ममता बनर्जी सरकार में मुख्य सचिव रहे। वह 2019 में रक्षा सचिव के पद से रिटायर हुए।