किसान नेताओं ने गुरुवार को कहा कि आगे की रणनीति तय करने से पहले वे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकीलों कॉलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण के साथ विचार-विमर्श करेंगे। उनकी सलाह के बाद आगे की रणनीति बनाएंगे। कहा कि आंदोलन जारी रहेगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि विवादित कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए वह कृषि विशेषज्ञों और किसान संगठनों के एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ पैनल का गठन करना चाहता है।

आंदोलन कर रहे किसानों ने अहिंसक प्रदर्शन करने के किसानों के अधिकार को स्वीकार करने के न्यायालय के फैसले का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने मामले का ठोस हल निकलने तक आंदोलन जारी रखने पर जोर दिया।

राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के नेता अभिमन्यु कोहड़ ने कहा, “हम शुक्रवार को वरिष्ठ अधिवक्ताओं कॉलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे, एचएस फुल्का और प्रशांत भूषण से मिलेंगे और उनकी सलाह लेंगे कि आगे क्या किया जा सकता है।”

उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (करीब 40 किसान संगठनों का संयुक्त मोर्चा) दिल्ली से सटी विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहा है। किसान नेता ने कहा, “हमें अभी तक उच्चतम न्यायालय से कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है और हम अदालत के आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद ही उसपर टिप्पणी करेंगे।”

भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता धर्मपाल मलिक ने कहा कि संगठन ने एक तकनीकी टीम का गठन किया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र पहले अपना रुख स्पष्ट करे कि वह विवादित कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगाना चाहता है या नहीं। मलिक ने कहा, “हम पहले उच्चतम न्यायालय का फैसला पढ़ेंगे, अपने वकीलों से सलाह करेंगे और फिर आगे की रणनीति तय करेंगे।” कहा कि मामले में सरकार के रवैए से हम असहमत हैं। तीनों कृषि कानूनों को सरकार को वापस लेने के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। पीछे हटने का कोई सवाल नहीं है।