उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार विनोद दुआ के यूट्यूब कार्यक्रम को लेकर हिमाचल प्रदेश में दर्ज देशद्रोह के मामले में उनके खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की अवधि मंगलवार को 15 जुलाई तक के लिये बढ़ा दी। दुआ के खिलाफ उनके इस कार्यक्रम को लेकर भाजपा के एक स्थानीय नेता ने शिकायत दर्ज करायी है।
न्यायमूर्ति उदय यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई की और मामले में विनोद दुआ को गिरफ्तार करने से हिमाचल प्रदेश की पुलिस को रोक दिया। पीठ इस मामले में अगले बुधवार को सुनवाई करेगी।
बेंच ने इसके साथ ही यह भी कहा कि दुआ को इस मामले में पूरक सवालों का जवाब देने की जरूरत नहीं है। दुआ इस मामले की डिजिटल माध्यम से जांच में शामिल हुये थे।
भाजपा के स्थानीय नेता श्याम की शिकायत पर छह मई को शिमला के कुमारसेन थाने में विनोद दुआ के खिलाफ देशद्रोह, मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने और सार्वजनिक शरारत करने जैसे आरोपों में भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।
श्याम का आरोप है कि विनोद दुआ ने अपने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री पर वोट हासिल करने के लिये मौत और आतंकी हमलों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।
दुआ ने इससे पहले अपनी याचिका में कहा था- मीडिया के खिलाफ हाल में एक ट्रेंड बन चुका है। राज्य सरकार की राजनीतिक विचारधारा से जो टेलीकास्ट या कार्यक्रम मेल नहीं खाता वह उनके खिलाफ या उससे जुड़े लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा देती है, ताकि उन्हें परेशान और धमकाया जा सके या फिर वे पुलिसिया कार्रवाई का सामना करें।
बता दें कि विनोद दुआ के खिलाफ पुलिसिया ऐक्शन को लेकर पत्रकार बिरादरी ने बड़े स्तर पर विरोध जताया था। Editors Guild of India ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर करारा हमला करार दिया था। वहीं, Indian Journalists’ Union ने कहा था कि दुआ के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर मीडिया को धमकाने और डराने का प्रयास है।