निषाद पार्टी यूपी में बीजेपी की सहयोगी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री हैं और अब उनके दल ने लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए अपने खुद के सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मौजूदा लोकसभा में प्रवीण निषाद, निषाद पार्टी के एकमात्र सांसद हैं। उन्होंने साल 2019 में संत कबीर नगर से बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर लोकसभा चुनाव जीता था।
संजय निषाद ने कुछ ही दिनों पहले नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एनडीए की बैठक में हिस्सा लिया था। उनसे बात की इंडियन एक्सप्रेस और जाना भविष्य के लिए क्या है उनकी पार्टी का रोडमैप।
आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए निषाद पार्टी की क्या तैयारियां हैं?
हम NDA का हिस्सा हैं, आने वाले लोकसभा चुनाव में हम पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ेंगे। पीएम मोदी चाहते हैं कि निचले तबके के लोग आगे बढ़ें और विकास करें। यही निषाद पार्टी का भी एजेंडा है। साल 2022 में हमने यूपी विधानसभा चुनावों में रणनीतिक रूप से सीटें शेयर कीं और हमारे गठबंधन ने कई ऐसी सीटें जीतीं जहां बीजेपी पहले कभी नहीं जीती थी। इसी तर्ज पर यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने और जीत हासिल करने की रणनीति बनाई गई है।
मैं मछुआरे समाज के वकील के रूप में काम कर रहा हूं। 6 सालों में मोदी सरकार ने मछुआरों के विकास के लिए 26 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किए जबकि कांग्रेस की सरकारों में 67 साल में सिर्फ 3 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। मोदी जी कहते हैं, ‘जय निषाद राज’, इसकी वजह से मेरे समुदाय के लोग खुश होते हैं और गर्व महसूस करते हैं। अन्य दलों ने सिर्फ निषादों के वोट लिए लेकिन उन्होंने उनके विकास के लिए कुछ नहीं किया गया। जब हमने NDA ज्वॉइन किया था, इसने हमारे “मान, सम्मान और स्वाभिमान” को बढ़ाया और समुदाय को “रोटी, कपड़ा और मकान” प्रदान किया।
हाल ही में आपने खून से निषाद समुदाय को पत्र लिखा कि आप उनके लिए समर्पित हैं। आपको अपने समुदाय को समझाने के लिए ऐसा कदम उठाने के लिए किसने मजबूर किया?
मेरे समुदाय ने मुझपर विश्वास किया है और मुझे अपने मुद्दों को उठाने के लिए अपना वकील माना है और मुझे नरेंद्र मोदी और अमित शाह के सामने अपने मामले उठाने में सक्षम बनाया है। मेरा पूरा जीवन उनके विकास के लिए समर्पित है। पत्र लिखने का एकमात्र उद्देश्य यह था कि मैं अपना खून दे रहा हूं और आप मोदी जी को वोट दें क्योंकि वह जज हैं और आपके वकील के रूप में मैंने आपके आरक्षण के मुद्दों से संबंधित सभी सबूत उनके सामने पेश किए हैं।
यह आरोप लगाया जा रहा है कि आपने खुद को समुदाय के “सबसे बड़े नेता” के रूप में पेश करने के लिए विभिन्न दलों के निषाद नेताओं के बीच एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश के बीच यह कदम उठाया।
नहीं, यह ऐसी मंशा से नहीं किया गया। एक नेता के तौर पर विधानसभा में मेरी पार्टी के चुने हुए विधायक हैं। मैं MLC हूं, मेरी पार्टी के विधायक अपने एजेंडे के मुताबिक मुद्दे उठाते हैं। अन्य दलों के नेता, विधायक और सांसद, चाहे वो मेरे समुदाय से ही क्यों न हों लेकिन वो अपने दलों के एजेंडे के हिसाब से काम करते हैं। मेरे समुदाय के नेता सपा, बसपा और कांग्रेस में थे लेकिन वो अपनी आवाज नहीं उठाते थे। निषाद पार्टी के बनने से मेरे समुदाय को आवाज मिली और उनके मुद्दे उठाए जाने लगे।
निषाद समुदाय के नेता बीजेपी में भी थे, क्या उन्होंने भी समस्याएं नहीं उठाईं?
कभी नहीं, क्योंकि वो सदन में नियमों के हिसाब से बोलते हैं। सभी दलों को समय दिया जाता है और इसलिए वो अपनी पार्टी के निर्देशानुसार, अपनी आवाज उठाते हैं। मेरी पार्टी की पॉलिसी मछुआरों की आवाज उठाने की है। इसलिए मेरी पार्टी खासतौर पर समुदाय के मुद्दे उठाती है।
क्या आप लोकसभा चुनाव 2024 अपनी पार्टी के सिंबल पर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं?
अब ‘भोजन भरी थाली’ (निषाद पार्टी का चुनाव चिन्ह) ही कमल है और कमल ही ‘भोजन भरी थाली’ है। दोनों अब एक ही हैं। लेकिन जब चुनाव हमारी पार्टी के सिंबल पर लड़ा जाएगा तो हमारे नेता दिल्ली पहुंचेंगे। प्रवीण निषाद बीजेपी के सिंबल पर सांसद बने लेकिन अब वो अगर ‘भोजन भरी थाली’ के चिन्ह पर सांसद बनते हैं तो वो दिल्ली में हमारी पार्टी के एडवोकेट होंगे। तब समुदाय को भी गर्व होगा और पार्टी के सांसद संसद में समुदाय की समस्याएं उठा सकेंगे। यूपी विधानसभा और विधान परिषद के बाद अब मैं चाहता हूं कि हमारी पार्टी अपने चुनाव चिन्ह पर लोकसभा पहुंचे।
क्या BJP आपको अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए सीटें देने पर राजी हो गई है?
अनुप्रिया पटेल जी (अपना दल-सोनेलाल अध्यक्ष) पहले ही अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीत चुकी हैं। सीट शेयरिंग कोई मुद्दा नहीं है। हम “जीत” के लिए काम करते हैं, सीटों के लिए नहीं। वे (बीजेपी) बड़े भाई हैं और जीतने के लिए हमारी ताकत के अनुसार सीटें देंगे। वो सीटें देंगे। हम जीत के लिए रणनीति बना रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में मुझे 15 सीटें मिली थीं। इनमें से 11 सीटों पर बीजेपी पहले कभी नहीं जीती थी। हमने उनके चुनाव चिह्न पर पांच सीटों पर चुनाव लड़ा। तीन निषाद उम्मीदवार जीतने में सफल रहे।
क्या ओपी राजभर के एनडीए में आने से यूपी में आपकी पार्टी के लिए स्पेस कम होगा? नए साथियों के आने के बाद क्या आप बीजेपी के साथ सहज महसूस नहीं कर रहे हैं?
जब पावर मिलती है तो व्यक्ति ऊंची और लंबी उड़ान भरता है। इससे पहले अनुप्रिया पटेल बीजेपी की एकमात्र साथी थीं। जब हम बीजेपी के साथ आए वो कमजोर नहीं हुईं। वह इससे मजबूत हुईं। मेरे साथ आने के बाद पिछड़ों के लिए आयोग बना। अब राजभर के साथ आने से हम तीनों को अपने समुदाय की समस्याएं उठाने के लिए और ज्यादा ताकत मिलेगी। हमारा टारगेट है- ‘330 पार, एनडी की सरकार’ और यूपी में हम सभी 80 लोकसभा सीटें जीतेंगे।
निषाद समुदाय की वर्तमान स्थिति क्या है? क्या यह OBC लिस्ट में है या SC लिस्ट में?
हम पहले से ही मझवार नाम से SC लिस्ट में हैं। लेकिन 1991 में हमारा नाम OBC लिस्ट में शामिल किया गया, जो गलत और असंवैधानिक था। 31 दिसंबर 2016 को सपा सरकार के दौरान तत्कालीन राज्यपाल ने एक अधिसूचना जारी कर हमें OBC लिस्ट से हटा दिया था। अब हम OBC लिस्ट में नहीं हैं। इसलिए अब हमें SC प्रमाण पत्र मिलना चाहिए।
लेकिन आपको अभी भी ओबीसी लीडर कहा जाता है? आप OBC लीडर हैं या SC लीडर?
मुझे मछुआरों का नेता कहें।