Samjhauta Express Blast Case: समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में बुधवार (20 मार्च, 2019) को बड़ा फैसला आ गया। हरियाणा स्थित पंचकूला की स्पेशल नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) के कोर्ट ने स्वामी असीमानंद समेत सभी चारों आरोपियों को बरी कर दिया। असीमानंद के अलावा मामले में लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजेंद्र चौधरी आरोपी थे।

एनआईए काउंसल आरके हांडा के हवाले से बताया गया, “एनआईए की स्पेशल कोर्ट इस नतीजे पर पहुंची कि जांच एजेंसी साजिश रचे जाने के आरोपों को साबित करने में नाकाम रही।”

यह इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट ट्रेन में 18 फरवरी, 2007 को पानीपत जिले में हुआ था, जिसमें लगभग 70 लोगों की जान चली गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मृतकों में 33 पुरुष और 19 महिलाएं थीं, जबकि 10 बच्चे थे और छह बच्चियां थीं।

बताया जाता है कि विस्फोट में मारे गए इन लोगों में 43 पाकिस्तानी भी थे। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में आठ लोगों के नाम आरोपी के तौर पर शामिल किए थे। वहीं, ब्लास्ट केस के कथित मास्टरमाइंड सुनील जोशी की दिसंबर 2007 में मौत हो गई थी।

जांच में एनआईए ने यह भी पाया था कि हिंदुओं के मंदिरों (गुजरात के अक्षरधाम मंदिर, जम्मू के रघुनाथ मंदिर और वाराणसी के संकट मोचन मंदिर) पर हुए आतंकी हमलों को लेकर इस ब्लास्ट केस के आरोपी नाराज चल रहे थे।

कहा जाता है कि उसी के बाद आरोपियों ने पाकिस्तान जाने वाली इस ट्रेन को निशाना बनाया था, जिसमें उस दौरान भारी संख्या में पाक नागरिक जा रहे थे। वे इस विस्फोट के जरिए हिंदू मंदिरों पर किए गए हमलों का बदला लेना चाहते थे। एनआईए की चार्जशीट में इससे पहले कहा भी गया था कि आरोपियों ने इस ब्लास्ट केस की साजिश रची थी, जिसमें ‘बम का बदला बम से लेने’ की बात शामिल थी।

समझौता एक्सप्रेस को अटारी एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है। यह सप्ताह में दो बार (बुधवार और रविवार) चलती है। यह ट्रेन दिल्ली से अटारी होते हुए लाहौर (पाकिस्तान) जाती है।

कौन हैं असीमानंद?: स्वामी असीमानंद का असली नाम नभ कुमार सरकार है। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से ताल्लुक रखते हैं। इससे पहले, साल 2017 में अजमेर ब्लास्ट केस में उन्हें बरी कर दिया गया था।