Lok Sabha Elections: इंडिया अलांयस में सहयोगी दलों ने एक चौंकाने वाला कदम उठाया है। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपने हिस्से में से एक सीट टीएमसी के लिए छोड़ दी है। साथ ही, एमपी में कांग्रेस पार्टी से अपने लिए एक सीट हासिल कर ली। एक खास बात है कि इन राज्यों में ना तो टीएमसी की ज्यादा मौजूदगी है और ना ही समाजवादी पार्टी कुछ ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर पाई है।
टीएमसी ने उत्तर प्रदेश में कभी चुनाव नहीं लड़ा है। वहीं, एसपी ने 2023 के विधानसभा चुनावों सहित मध्य प्रदेश में कभी जीत दर्ज नहीं की है। यूपी में भदोही की सीट से टीएमसी चुनाव लड़ेगी। यहां पर उसने कांग्रेस के पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वह यूपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश पति के बेटे हैं। राजेश पति खुद पूर्व एमएलए हैं और यूपी के पूर्व सीएम कमलापति त्रिपाठी के पोते हैं।
ललितेश त्रिपाठी ने चुनाव लड़ा और हार गए
ललितेश पति त्रिपाठी साल 2012 के इलेक्शन में कांग्रेस के मरिहान से चुने गए थे। वह मिर्जापुर से चुनाव लड़ना चाहते थे। हालांकि, यह उस समय संभव नहीं हो सका था। फिर साल 2019 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और हार गए। उन्हें केवल 8.25 फीसदी वोट मिले। वह साल 2021 में टीएमसी में शामिल हो गए थे। त्रिपाठी ने कहा कि सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भदोही सीट से एक ऊंची जाति को मैदान में उतारना और एक ओबीसी उम्मीदवार के लिए मिर्जापुर छोड़ना बेहतर समझा। उन्होंने कहा कि भदोही लोकसभा सीट एक सुरक्षित सीट है। यहां पर पांच विधानसभा क्षेत्रों में से पार्टी ने 2022 के इलेक्शन में तीन पर जीत हासिल की थी।
2019 में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के रमेश चंद ने बीएसपी के रंगनाथ मिश्रा को 40,000 से ज्यादा वोटों से हराया था। उस समय बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का अलायंस था। उस समय जाति का तर्क बीजेपी की लोकप्रियता के सामने गिर गया था। कांग्रेस को सिर्फ 2.46 फीसदी ही वोट मिल सके थे। भदोही में मुस्लिम और ओबीसी की संख्या भी ज्यादा है।
एक सपा नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में टीएमसी के पास कोई राज्य संगठन नहीं है और न ही राज्य अध्यक्ष या जिला नेता हैं। जबकि त्रिपाठी टीएमसी के चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग उन्हें वोट देंगे वे उनके व्यक्तिगत संबंधों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के मौजूदा वोट के आधार पर ऐसा करेंगे। त्रिपाठी ने आगे दावा करते हुए कहा कि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी क्षेत्र में काफी फेमस हैं। उन्होंने कहा कि वे साल 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करने आई थी। त्रिपाठी ने कहा कि उस समय सपा भदोही से टीएमसी को टिकट देने पर राजी हो गई थी।
कांग्रेस पार्टी यूपी में 17 सीटों पर लड़ेगी
इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले के रूप में कांग्रेस पार्टी यूपी में 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के भदोही के लोकसभा प्रभारी आंनद राय ने कहा कि त्रिपाठी के पीछे पार्टी का पूरा समर्थन है। हम सभी यह तय करने के लिए मीटिंग कर रहे हैं कि वह जीतें। कांग्रेस पार्टी वोटिंग के दिन हर बूथ पर अपने कार्यकर्ताओं को तैनात करेगी।
वहीं, समाजवादी पार्टी एमपी के खजुराहों से लड़ेगी। यह ओबीसी बहुल सीट है। हालांकि, यहां पर इंडिया गठबंधन के लिए कड़ा मुकाबला होगा। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा हैं। एसपी ने 2019 में भी खजुराहो से चुनाव लड़ा था, जब वह कांग्रेस के साथ गठबंधन में नहीं थी और उसे 3.18 फीसदी वोट मिले थे। तब शर्मा ने कांग्रेस की महारानी कविता सिंह नातीराजा को 4.92 लाख वोटों से हराया था।
कांग्रेस को मिली थी हार
मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सभी आठ विधानसभा सीटों से हार गई थी। यहां से समाजवादी पार्टी अभी अपने उम्मीदवार को तय करने की जुगत में लग गई है। पार्टी के मध्य प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने कहा कि हमने हमने टीकमगढ़ और सतना जैसी दूसरी सीटें मांगी थी, लेकिन हमारे हाथ खजुराहों की सीट आई। खजुराहों में एक बड़ी ओबीसी आबादी रहती है। इसमें लगभग 3 लाख पटेल, 1.8 लाख लोध और 1.7 लाख यादव हैं। इनके अलावा 2 लाख मुस्लिम और ब्राह्मण और 1 लाख ठाकुरों की आबादी है। अगर ओबीसी और मुस्लिम लोगों का वोट समाजवादी पार्टी को मिलता है तो पार्टी वीडी शर्मा को टक्कर देने में कामयाब हो सकती है।
उत्तर प्रदेश के एक समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि इस बार मध्य प्रदेश में मोहन यादव को बीजेपी ने सीएम की कुर्सी दी है। इस सीट पर विपक्ष के दो प्रमुख यादव नेताओं अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव का प्रभाव पड़ सकता है। इसी वजह से कांग्रेस सीट देने को राजी हो गई है। अखिलेश यादव पूरे मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार करेंगे। मध्य प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव से पहले भी कांग्रेस और एसपी ने गठबंधन की कोशिश की थी, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। 2018 के विधानसभा चुनावों में 114 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बाद कांग्रेस 230 में से 66 सीटों पर सिमट गई थी, जबकि एसपी ने 71 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक को छोड़कर सभी की जमानत जब्त हो गई थी।