अंशुमान शुक्ल
लखनऊ। समाजवादी पार्टी अब तक सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में मिली करारी शिकस्त के कारण नहीं तलाश पाई है। कभी वह मंत्रियों पर इसका दोष मढ़ने की कोशिश करती है, तो कभी अधिकारियों पर। गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन पार्टी ने नया राग अलापा है। पार्टी के ज्यादातर नेताओं को इस बात का भरोसा हो चला है कि लोकसभा चुनाव में जो दुर्गति उसकी हुई उसकी बड़ी वजह भितरघात करने वाले नेता ही हैं। नेताओं की ये वो जमात है जो अब भी सपा में मौजूद है। इनकी संख्या दो सौ के आसपास बताई जाती है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो रामगोपाल यादव के पास पार्टी में मौजूद भितरघातियों की जो सूची है उनमें इनकी संख्या करीब दौ सौ बताई जा रही है। समाजवादी पार्टी में ऐसे नेताओं का होना कोई नई बात नहीं है। कई असफल टिकटार्थियों ने 2012 में विधानसभा चुनाव के दौरान अपने साथियों के खिलाफ प्रचार किया था और उन्हें हराने के लिए कार्यकर्ताओं को गोलबंद करने की पुरजोर कोशिश की थी। उस समय समाजवादी पार्टी के लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। उसमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव के सामने एक पर्ची दिखाते हुए कहा था कि उनके पास ऐसे भितरघातियों के नाम मौजूद हैं। प्रो यादव ने तब ऐसे कार्यकर्ताओं की संख्या सैकड़ों में बताई थी। विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद ऐसे अधिकांश नेताओं को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। करीब दो दर्जन नेता और पदाधिकारी ही समाजवादी पार्टी से निकाले गए। बात आई-गई हो गई और पूरी समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनने की खुमारी में डूब गई।
सोलहवीं लोकसभा के चुनाव के कई महीने पहले मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे वाहनों में हूटर, झंडे और लक्ष्य 2014 का स्टिकर लगाकर पार्टी के नाम पर जनता के बीच अपना रोक गालिब न करें। लेकिन पिता और पुत्र की बात को कार्यकर्ताओं ने सिरे से अनसुना कर दिया। इस अपील के एक महीने बाद फिर अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं से हूटर और पार्टी के झंडे लगाकर चलने को मना किया। उस समय वे प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मुलायम सिंह यादव ने कई मर्तबा इस बात को सार्वजनिक मंचों से कहा कि पार्टी का झंडा व लक्ष्य 2014 का स्टिकर लगा कर हूटर बजाने वाले कार्यकर्ता ऐसा करना छोड़ दें। इससे जनता के बीच समाजवादी पार्टी की छवि गलत बनती है। लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ। पार्टी के राष्ट्रीय व प्रदेश अध्यक्ष के इस आदेश की गंभीरता का अंदाजा राष्ट्रीय अधिवेशन में आए महंगे वाहनों पर लगे पार्टी के झंडे देख कर लगाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की अधिकांश सीटों पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच आपसी द्वंद्व इतना गहराया कि उसने पूरी पार्टी की लुटिया डुबो कर रख दी। इसकी बड़ी वजह कई सीटों पर कई बार उम्मीदवारों के नामों में किया गया फेरबदल भी बताया जाता है।
लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश सरकार के कुछ मंत्रियों पर भी उंगली उठी। आरोप लगे कि उन्हें जिन लोकसभा सीटों का प्रभारी बनाया गया वहां से अधिक दिलचस्पी किसी अन्य सीट पर उनकी रही। इस वजह से कुछ मंत्री तो सिर्फ वाहनों की लागबुक पर ही जनसंपर्क कर लखनऊ लौट आए। कई जिला व नगर अध्यक्षों ने भी मंत्रीजी के इस काम में उनका साथ दिया। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि चरणबद्ध तरीके से ऐसे भितरघातियों को निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी। पहले चरण में करीब 80 मंत्रियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी से बर्खास्त किया जाना तय है।
ढाई साल से उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चला रही समाजवादी पार्टी को इस बात का आभास हो गया है कि यदि अब भी दोषियों के खिलाफ कठोर फैसले नहीं हुए तो पार्टी को अधोगति की तरफ जाने से रोक पाना नामुमकिन हो जाएगा। मुलायम सिंह यादव बीते दो साल से यह दोहराते आए हैं कि पार्टी में भितरघातियों ने बड़े नुकसान किए हैं। देखना यह है कि भितरघात के आरोप में समाजवादी पार्टी से किन नेताओं की विदाई होती है। इस सवाल से पूरी पार्टी बेचैन है।