लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के ठीक पहले अनेक विवादों और तकरारों के बाद आखिरकार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस (SP-Congress Alliance) के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति बन गई। सपा 62, कांग्रेस 17 और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) को एक सीट दी गई। इसके बाद 25 फरवरी को यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) में शामिल होंगे।
कांग्रेस और सपा दोनों ही इस पीडीए गठबंधन को लेकर उत्साहित दिख रहे हैं लेकिन शायद इस गठबंधन में होने के बावजूद कांग्रेस को अभी-भी एक साथी की कमी खल रही है और समय-समय पर कांग्रेस की तरफ से इसके संकेत भी सामने आ जाते हैं, आज फिर कुछ ऐसा ही हुआ है। कांग्रेस बसपा को साथ लाने के प्रयास में हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि अगर बसपा पीडीए में आना चाहेगी तो वे स्वागत करेंगे।
दरअसल, आज मुरादाबाद से राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरु हो गई है। इस दौरान कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश से जब मायावती के साथ गठबंधन की संभावनाओं को लेकर सवाल किया गया तो जयराम रमेश ने कहा कि अगर यूपी में सपा-कांग्रेस के पीडीए गठबंधन में बसपा शामिल होती है, तो कांग्रेस इसका स्वागत करेगी। जयराम रमेश ने कहा कि यूपी कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने बातचीत में कहा है कि हमारे दरवाजे खुले हैं, जो बीजेपी को हराना चाहते हैं वे हमारे साथ आएं, उनका स्वागत होगा।
बता दें कि यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब सपा के साथ कांग्रेस का गठबंधन तय हो गया है लेकिन बसपा की ओर से कोई संकेत नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर बसपा के गठबंधन में शामिल होने के कयासों पर कुछ दिन पहले ही बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने स्थिति स्पष्ट की थी। उन्होंने एक्स पर लिखा था कि बीएसपी का किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं है और इसको लेकर कई बार स्पष्ट घोषणा भी कर दी गई है, लेकिन बार-बार अफवाह फैलाना यह साबित करता है कि बीएसपी के बिना कुछ पार्टियों की यहां दाल गलने वाली नहीं है। मायावती ने ऐलान कर दिया था कि बीएसपी इस बार अकेले ही चुनाव लड़ने वाली है।
कांग्रेस की दिलचस्पी, सपा की बेरुखी
ऐसा नहीं है कि पहली बार बीएसपी के इंडिया या पीडीए गठबंधन में शामिल करने को लेकर कवायदें की गई हैं, बल्कि सूत्रों ने बताया था कि मुंबई में हुई इंडिया गठबंधन की बैठक के दौरान भी इस बात पर चर्चा हुई थी कि बीजेपी को अगर देश में पटखनी देनी है तो उसे उत्तर प्रदेश में कमजोर करने के लिए सपा-कांग्रेस के साथ ही बीएसपी को भी गठबंधन में लाना होगा। इसको लेकर बातचीत का प्लान भी बना था। हालांकि उस दौरान पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने नाराजगी जताई थी क्योंकि वे बीएसपी से गठबंधन के खिलाफ थे।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के पहले बीएसपी के साथ गठबंधन को लेकर जहां सपा पूरी तरह से विरोध में है तो दूसरी ओर उसकी ही साथी कांग्रेस अभी भी पॉजिटिव संकेत देती रही है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर बीएसपी को पीडीए में शामिल करने के लिए कांग्रेस इतना उतावलापन क्यों दिखा रही है, और क्या सच में बीएसपी का सपा-कांग्रेस के साथ आना बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है, इसका गणित समझना बेहद अहम है।
बसपा का है लॉयल वोटर बेस
कांग्रेस की बसपा के प्रति दिलचस्पी की वजह मायावती का एक मुश्त वोटर बेस है, जो कि बसपा के साथ लंबे वक्त तक लॉयल रहा है। इसी का नतीजा है कि बसपा का वोट प्रतिशत 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2017 विधानसभा, 2019 लोकसभा और 2022 विधानसभा चुनावों के दौरान कभी भी 10 प्रतिशत से कम नही हुआ है। हालांकि ये वोट बीएसपी के लिए सीटों के लिहाज से ज्यादा फायदा नहीं पहुंचा सका लेकिन जब यह गठबंधन में जुड़ा तो बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ है। इसका उदाहरण साल 2019 का लोकसभा चुनाव था।
सपा-बसपा और कांग्रेस का साथ, मतलब बीजेपी की मुश्किलें?
2019 में जब बीजेपी के खिलाफ सपा बसपा साथ चुनाव लड़े थे तो बीजेपी का एनडीए अलायंस यूपी में 73 से खिसककर 62 पर आ गया था। इसके बाद जब अलग हुए तो 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी की जीत हुई। 2019 में बीजेपी का वोट प्रतिशत 49.98 था, जबकि बीएसपी का 19 और सपा का वोट प्रतिशत 18 प्रतिशत था। यह एक साथ मिलकर बीजेपी को कुछ हद तक नुकसान पहुंचाने में कामयाब भी हुआ था। 49 प्रतिशत के सामने लड़ना वैसे तो मुश्किल है लेकिन सपा-बसपा- कांग्रेस का कुल 44 प्रतिशत वोट बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता था।
वहीं जब 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत 41 था। वहीं सपा का 32 प्रतिशत वोट था। बीएसपी का वोट प्रतिशत 12 और कांग्रेस 2 प्रतिशत पर थी। ऐसे में अगर बसपा-सपा-कांग्रेस एक साथ आ जाते तो शायद यूपी विधासनभा की स्थिति कुछ और भी हो सकती थी। यह गणित ऐसा है जो कि कांग्रेस को सबसे ज्यादा लालच दे रहा है। संभवतः यहीं कारण है कि बीजेपी को हराने का मुद्दा उठाकर लगातार कांग्रेस द्वारा यह बयान दिए जा रहे हैं कि मायावती को भी इस गठबंधन में शामिल होना चाहिए।
कयास ये भी हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद मायावती अपने फैसलों से चौंका सकती हैं लेकिन फिलहाल वो खुलकर किसी गठबंधन में न जाने का दावा कर रही है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या बसपा को भी कांग्रेस यूपी में पीडीए में शामिल कर पाती है या नहीं।