तीन साल पहले विरोध प्रदर्शन के कारण महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दी गई सौ से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। रविवार दोपहर झंडेवालान स्थित अंबेडकर भवन में ‘संघर्ष का उत्सव’ नामक एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए एकत्र हुईं इन कार्यकर्ताओं में से अधिकतर लाल कपड़े पहने हुए थीं।

इंग्लैंड, पाकिस्तान और न्यूजीलैंड सहित दुनिया भर से आए वीडियो मैसेज, जिनमें दिल्ली राज्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन (DASAWHU) के साथ एकजुटता व्यक्त की गई थी, बड़ी स्क्रीन पर दिखाए गए। वहीं, महिलाएं जिनमें से कुछ के साथ उनके छोटे बच्चे भी थे उत्सुकता से इसे देख रही थीं।

वेतन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के बाद 884 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नौकरी से निकाल दिया गया था

13 मार्च, 2022 को 884 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को बेहतर वेतन की मांग को लेकर एक महीने से ज़्यादा समय तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद नौकरी से निकाल दिया गया। 8 मार्च को ‘आंगनवाड़ी स्त्री अधिकार रैली’ के बैनर तले दिल्ली सचिवालय के सामने महिलाओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम लागू किए जाने के बाद ऐसा किया गया।

हालांकि तब से अब तक लगभग 750 महिलाओं को बहाल कर दिया गया है लेकिन मामला दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंच गया है, जो 21 मार्च को मामले की अगली सुनवाई करेगा।

दिल्ली ही नहीं, देश के इन राज्यों में भी महिलाओं को पैसा देने की स्कीम

शोषण जारी है- आंगनवाड़ी कार्यकर्ता

विभाग द्वारा अभी तक बहाल नहीं की गई महिलाओं में से एक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “शोषण जारी है जबकि हम पीछे नहीं हटे हैं, हम डरे हुए हैं। श्रमिकों के एक बड़े समूह को बहाल कर दिया गया है, लेकिन एक छोटा सा वर्ग पीछे रह गया है। मुझे बताया गया कि मुझे बहाल नहीं किया गया, क्योंकि मैं मुखर थी। मुझे वेतन वृद्धि की भी उम्मीद नहीं है… मैं कैसे उम्मीद कर सकती हूँ, जब वे हमें समय पर भुगतान ही नहीं करते?”

‘जो लोग फिर से काम पर आ गए हैं उन पर दबाव बनाया जा रहा’

सविता यादव, जिन्हें अभी तक बहाल नहीं किया गया है, वे 2007 से करावल नगर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही थीं। उन्होंने कहा, “वे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को रहने नहीं दे रहे हैं। विभाग द्वारा सभी को धमकाया जाता है। जो लोग फिर से काम पर आ गए हैं, उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने मुझे जनवरी 2023 का वेतन नहीं दिया है।” उन्होंने कहा कि उन्हें हर महीने 9,741 रुपये मिलते थे, जबकि सहायिकाओं को 4,739 रुपये मानदेय मिलता था। यूनियन की मदद से हमने तीन साल तक लड़ाई लड़ी है और अब हम हार नहीं मानेंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि हम यह केस जीतेंगे। हमारी कभी कोई गलती नहीं थी।”

डीएसएडब्ल्यूएचयू की संयोजक प्रियंबदा शर्मा ने कहा कि शेष कार्यकर्ताओं और सहायकों की बहाली की मांग को लेकर जल्द ही दिल्ली की नवगठित भाजपा सरकार को एक ज्ञापन भेजा जाएगा। उन्होंने कहा, “आज हम संघर्ष के तीन साल पूरे कर रहे हैं, कई महिलाएँ डरी हुई हैं, उनके परिवार पीड़ित हैं। उन्हें न्यूनतम मज़दूरी की भी गारंटी नहीं दी गई है जो उनका मूल अधिकार होना चाहिए। इसके बजाय उन पर अत्यधिक बोझ डाला जा रहा है और उनका शोषण किया जा रहा है।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स