शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाईकोर्ट में आज चुनाव आयोग के उस फैसले को सरासर गलत बताया जिसमें पार्टी का नाम और चुनाव निशान ही फ्रीज कर दिया गया था। उद्धव का कहना था कि 30 साल तक उन्होंने पार्टी चलाई पर आज पिता बाला साहेब के नाम से ही किनारा करना पड़ रहा है।
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव नरूला की बेंच के समक्ष उद्धव ठाकरे की तरफ से पेश वकील ने कहा कि आयोग का फैसला सरासर गलत है। आखिर पार्टी को उद्धव ठाकरे के पिता बाला साहेब ठाकरे ने खड़ा किया था। वो ही इसके असली हकदार हैं। 8 अक्टूबर को आयोग ने अपने फैसले में शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह को फ्रीज करके उद्धव और शिंदे कैंप को उनका मनमाफिक चुनाव चिन्ह और पार्टी का नया नाम अलॉट किया था।
अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट के लिए हुए उप चुनाव में आयोग ने दोनों गुटों से तीन-तीन नाम देने को कहा था। इस मामले में अभी अंतिम निर्णय नहीं आया है कि शिवसेना पर असली कब्जा किसका है। दोनों ही गुट दावा कर रहे हैं कि वो ही असली शिवसेना हैं। उद्धव का दावा है कि उनके पिता ने ये पार्टी खड़ी की थी। शिंदे ने अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ी तो वो पार्टी पर दावा कैसे कर सकते हैं। उधर शिंदे का कहना है कि वो बाला साहेब के वारिस हैं।
जस्टिस नरूला ने कहा कि अभी उद्धव का शिवसेना पर दावा खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि आयोग अपना अंतिम निर्णय नहीं कर सका है। उसने जो आदेश अक्टूबर में पारित किया वो केवल उप चुनाव को लेकर था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई मंगलवार तक टाल दी। दोनों ही पक्षों को अपने जवाब लिखित में कोर्ट को देने के लिए कहा है।
ध्यान रहे कि 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में उद्धव ठाकरे की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने की बात की गई थी। उसके बाद चुनाव आयोग ने सिंबल और पार्टी के नए नाम अलॉट करने का कदम उठाया। उद्धव ने उस फैसले को चुनौती दी है।