केंद्र सरकार लगातार ये दावा करती आई है कि उसने कृषि कानून लाने से पहले किसानों के साथ बातचीत की थी। सरकार की ओर से इस मामले में कई दौर की बातचीत होने की बातें भी कही गई थीं। हालांकि NDTV के मुताबिक कृषि मंत्रालय के लिए दायर की गई एक आरटीआई में जानकारी सामने आई है कि सरकार के पास कानून लागू करने से पहले किसानों के साथ हुई बातचीत का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।
किसानों के साथ बातचीत और सुझाव को लेकर आरटीआई दायर की गई थी। आरटीआई में पूछा गया था कि क्या कानून लागू करने से पहले किसानों से सलाह ली गई थी। RTI में पूछा गया था कि सरकार ने कितनी बार किसानों से सुझाव लिए थे। किसानों से ली गई सलाह और मीटिंग को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी गई थी। जिसके जवाब में सरकार ने कहा कि उसके पास किसानों से ली गई सलाह का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
बता दें कि आज NCP प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने केंद्र पर राज्यों की सलाह के बिना तीन नए कृषि कानूनों को लागू करने का आरोप लगाया और कहा कि कृषि को “दिल्ली में बैठे” नहीं चलाया जा सकता है क्योंकि इसमें दूर-दराज के गांवों के किसान शामिल हैं।
वहीं आज हजारों किसानों ने पटना में राजभवन की ओर मार्च करने की कोशिश की। किसान केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे थे। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच टकराव हुआ।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच तीन नए कृषि कानूनों को लेकर बातचीत के अगले दौर से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। कृषि मंत्री तोमर, रेल मंत्री गोयल और मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ संवाद में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
बता दें कि एक महीना हो चुका है और किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। किसान केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और चाहते हैं कि सरकार इनको वापिस ले। सरकार ने एक बार फिर से बातचीत के लिए कल किसान नेताओं को बुलाया है। इससे पहले 5 बार मुलाकात हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है।
