दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री और BJP के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी को महिला मित्र राजकुमारी कौल से रिश्ता तोड़ने के लिए तत्कालीन RSS चीफ गुरु गोलवलकर ने आदेश दे दिया था। हालांकि, वाजपेयी ने तब उनकी बात मानने से इन्कार कर दिया था।

यह दावा लेखक और अकादमिक दुनिया से जुड़े विनय सीतापति की नई किताब ‘जुगलबंदी’ में किया गया है। पुस्तक में इसके अलावा BJP संस्थापक अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आणवाणी के बीच के जटिल संबंधों का जिक्र मिलता है।

हमारे सहयोगी अंग्रेजी अखबार ‘The Indian Express’ में पत्रकार और स्तंभकार कूमी कपूर के ‘इनसाइड ट्रैक’ कॉलम में ‘डेफिएट वाजपेयी’ नाम के पीस में बताया गया है कि सीतापति को लगता था कि वाजपेयी के राजकुमारी कौल के साथ लंबे जुड़ाव को लेकर भगवा खेमे में खलबली मच सकती है।

सीतापति के मुताबिक, 1965 में आरएसएस चीफ गोलवलकर ने संघ के शीर्ष नेताओं की एक विशेष बैठक रखी थी। इस मीटिंग का मकसद तब के जन संघ के उभरते सितारे अटल बिहारी वाजपेयी और उनकी मित्र कौल (ग्वालियर में कॉलेज के दिनों से) के बीच करीबी रिश्तों पर चर्चा करना था।

बैठक के दौरान तब के यूपी में RSS के प्रभारी भाऊसाहेब देवरास भी आए थे। उनका कहना था कि जब तक यह बात सबके सामने नहीं है, तब तक तो ठीक है।

वहीं, जन संघ के ट्रेजरर नानाजी देशमुख का सुझाव था कि वाजपेयी को शादी कर लेनी चाहिए। गोलवलकर ने सभी के मत और सुझाव सुने और फिर वाजपेयी से साफ-साफ कह दिया था कि वह कौल से अपना रिश्ता तोड़ कर दूरी बना लें।

हालांकि, वाजपेयी ने ऐसा करने से मना कर दिया था। लेखक सीतापति का मानना है कि इसी घटनाक्रम के बाद से वाजपेयी ने अपनी और आरएसएस के बीच दूरी को बनाना शुरू कर दिया था।