RSS NRC Plan: साल 2019 में संसद के दोनों सदनों से जब मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का बिल पारित करवाया था, तब उस दौरान NRC के अनुमान को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इसके बाद विवादों को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की एक रैली में कहा था कि उनकी सरकार ने फिलहाल ऐसा कुछ नहीं प्लान कर रही है। दिलचस्प बात यह है कि तब से लेकर अब तक बीजेपी ने NRC का कोई जिक्र नहीं किया है लेकिन अब यह मुद्दा RSS के पिटारे से निकलने वाला है।

दरअसल, 21 से 23 मार्च के बीच आरएसएस की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक होगी। इस अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा यानी ABPS कहते हैं। RSS की इस बड़ी सभा में संभावना हैं कि NRC एक प्रमुख चर्चा का मुद्दा हो सकता है। इसमें चर्चा इस बात पर हो सकती है कि NRC को पूरे देश में कैसे लागू किया जाए।

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‘घुसपैठियों को निकालना केंद्र सरकार का कर्तव्य’

RSS के एक पदाधिकारी ने इन सारे मुद्दों पर कहा कि घुसपैठियों की वजह से देश के कई राज्यों में डेमोग्राफी काफी बदल गई है। उन्होंने झारखंड का जिक्र करते हुए कहा कि वहां तो मुसलमानों की तुलना में ईसाई आबादी में तेजी से घट रही है। इसके अलावा रणनीति रूप से अहम माने जाने वाले अरुणाचल प्रदेश में भी बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ के चलत डेमोग्राफी में बदलाव हुआ है। ऐसे में घुसपैठियों को देश से बाहर निकालना केंद्र सरकार का कर्तव्य बनता है।

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NRC लागू करने के तरीके पर हो सकती है चर्चा

RSS के पदाधिकारी ने कहा कि संघ की इस बैठक में इस बात पर चर्चा जरूर की जाएगी, कि एनआरएसी को कैसे लागू किया जाए, जिससे किसी भी भारतीय नागरिक को न तो कोई डर लगे, न खतरा महसूस हो। इतना ही नहीं, संघ की इस बैठक को लेकर इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से यह भी रिपोर्ट दी है कि संघ कुछ खास राज्यों में एनआरसी लागू करने पर भी चर्चा कर सकता है।

हालांकि, अभी यह पूरी तरह से तय नहीं है कि NRC पर संघ की बैठक में चर्चा होगी, या नहीं। आरएसएस के एक अन्य नेता ने कहा कि किसी मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए या नहीं, यह बैठक के दौरान तय किया जाता है, पहले नहीं। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वरिष्ठ नेता इस मुद्दे को कैसे उठाते हैं और क्या फैसला लेते हैं।

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क्यो अहम है RSS की बैठक?

ABPS सभा आरएसएस की सबसे महत्वपूर्ण बैठक होती है जिसमें सरसंघचालक मोहन भागवत से लेकर, संगठन के दूसरे सबसे बड़े नेता दत्तात्रेय होसबोले शामिल होंगे, जिनके अलावा आरएसएस की सभी स्वयंसेवक भी इस बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल हो सकते हैं। यह देखना होगा कि इस बैठक के पहले क्या बीजेपी अपने नए अध्यक्ष का नाम तय कर पाती है, या नहीं।

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NRC पर क्या है RSS का रुख?

NRC पर RSS के रुख की बात करें संघ हमेशा से कहता रहा है कि पूरे देश में एनआरसी होनी चाहिए। अक्टूबर 2019 में संघ की एक कार्यकारी मंडल की बैठक के दौरान भुवनेश्वर में आरएसएस के तत्कालीन महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा था कि NRC बनाना हर सरकार का काम है। कई तरह की घुसपैठ हुई है। इसलिए एक बार एनआरसी बनाना और उन सभी लोगों की पहचान करना महत्वपूर्ण है जो भारतीय नागरिक नहीं हैं, और फिर उनके बारे में क्या किया जाना चाहिए, यह तय करने के लिए एक नीति भी बनानी चाहिए।

इसके अलावा साल 2021 के जुलाई महीने में, सर संघचालक मोहन भागवत ने असम में एक कार्यक्रम में दावा किया था कि लोगों के एक खास वर्ग ने राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग दिया है। उन्होंने कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम मुद्दा बन गया है, जबकि ऐसा कोई मुद्दा ही नहीं है। भागवत ने कहा कि एनआरसी केवल भारत में रहने वाले वास्तविक नागरिकों को निर्धारित करने का एक तरीका है।

भागवत ने कहा था कि इस तरह की प्रक्रिया दुनिया भर के कई देशों में अपनाई जाती है। जो गिनती में नहीं आए, उनका मामला अलग है लेकिन एक बार कम से कम हमें यह तो पता चलना चाहिए कि देश का असल नागरिक कौन है, कौन नहीं। RSS से जुड़ी अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।