केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने केंद्र सरकार से हाल में लागू कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। पार्टी ने कहा है कि अगर इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की गयी तो वह एनडीए का सहयोगी दल बने रहने पर पुनर्विचार करेगी।

आरएलपी के संयोजक व नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने सोमवार को इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित कर ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा है,‘‘अमित शाह जी, देश में चल रहे किसान आंदोलन की भावना को देखते हुए हाल ही में कृषि से सम्बंधित लाये गए तीन विधेयकों को तत्काल वापिस लिया जाए व स्वामीनाथन आयोग की सम्पूर्ण सिफारिशों को लागू करें व किसानों को दिल्ली में त्वरित वार्ता के लिए उनकी मंशा के अनुरूप उचित स्थान दिया जाए!’’

बेनीवाल ने आगे लिखा, ‘‘चूंकि आरएलपी, एनडीए का घटक दल है परन्तु आरएलपी की ताकत किसान व जवान है, इसलिए अगर इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो मुझे किसान हित में एनडीए का सहयोगी दल बने रहने के विषय पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।’’ दूसरी तरफ टैक्सी यूनियन भी कृषि कानून के विरोध में दिल्ली में डटे किसानों के समर्थन में आगे आई है।

टैक्सी यूनियनों ने केंद्र सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया। टैक्सी यूनियनों का कहना है कि अगर दिल्ली अगर किसानों की मांगों को नहीं माना गया तो एनसीआर में निजी टैक्सी, टैक्सी, ऑटो और ट्रक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। AISOA संयुक्त समिति की तरफ से इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया।

इसमें यह घोषणा की गई कि दिल्ली और एनसीआर के सभी ट्रांसपोर्ट, कैब और टैक्सी यूनियनों ने मौजूदा सरकार की तरफ से पारित किए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने का फैसला किया है। पत्र में 10 संगठनों का जिक्र किया गया है।

पत्र में किसानों से आग्रह किया गया है कि वह अपनी मांगों पर तब तक अड़े रहें जब तक सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीन बिलों को रद्द नहीं कर देती।