RJD Muslim-Yadav Equation Bihar: मुस्लिम-यादव समीकरण के बलबूते 15 साल तक बिहार में सरकार चलाने वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अब अपने सामाजिक आधार का विस्तार कर रही है।। बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में गैर-यादव जातियों, अति पिछड़ी जातियों (ईबीसी) और दलितों को लुभाने की तरफ आगे बढ़ रही है।

इसका सीधा संकेत बीते सोमवार को तब मिला जब सहरसा में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने पिता और पार्टी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को भारत रत्न दिए जाने की मांग की। तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पिता को इसलिए भारत रत्न दिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने ऐसे वक्त में बेजुबान लोगों को आवाज दी, जब दलित समुदाय के लोग कुएं का भी इस्तेमाल नहीं कर सकते थे।

इससे पहले भी 22 जनवरी को तेजस्वी यादव ने कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर एक विशाल रैली को संबोधित किया था और लोगों को बताया था कि उन्हें कर्पूरी ठाकुर से प्रेरणा मिली। तेजस्वी ने लोगों को यह भी याद दिलाया था कि जब आरजेडी नीतीश के साथ बिहार की सरकार में थी तो उनकी पार्टी ने पिछड़ों और वंचितों के लिए कोटा बढ़ाने के लिए नीतीश सरकार पर दबाव बनाया था।

आरजेडी ने 9 फरवरी को पटना में एक और रैली की और इसके जरिए पार्टी ने तेली समुदाय तक पहुंचने की कोशिश की। इस रैली में भी तेजस्वी यादव शामिल हुए थे। ईबीसी में तेली सबसे बड़ा समुदाय है और बिहार में इसकी आबादी लगभग 3% है।

याद दिलाना होगा कि ईबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कर्पूरी ठाकुर को पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया था

‘कोई दलित होना चाहिए दिल्ली का LoP…’, स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल से की ये बड़ी मांग

सामाजिक न्याय के चेहरे बने थे लालू

लालू यादव 1990 में बिहार में सामाजिक न्याय की राजनीति के सबसे बड़े चेहरे बनकर सामने आए थे और उस दौर में ओबीसी समुदाय ऊंची जातियों के वर्चस्व के खिलाफ खड़ा हुआ था। इससे ओबीसी ईबीसी और दलित तबका लालू प्रसाद यादव के साथ खड़ा रहा और वह 15 साल तक लगातार बिहार की सत्ता में बने रहे।

2005 में लालू प्रसाद यादव से सत्ता छीनने के बाद जेडीयू के प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ईबीसी और महादलित तबकों के बीच अपना आधार मजबूत किया है और इसके दम पर वह आरजेडी को सत्ता में लौटने से रोकने में कामयाब रहे हैं। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि आरजेडी के कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि लोगों को बताया जाए कि लालू जी ने सत्ता में रहते हुए उन्हें क्या-क्या दिया था। उन्होंने बताया कि पार्टी के कार्यकर्ता ईबीसी और दलित समुदाय के लोगों तक पहुंच रहे हैं।

BJP ने फिर किया कमाल, इस चुनाव में कांग्रेस – सपा को किया धराशायी, पीएम मोदी बोले – थैंक्यू

ईबीसी नेताओं को दिया टिकट

2020 के विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी ने पार्टी संगठन में ईबीसी तबके के नेताओं को जगह दी थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने ईबीसी चेहरों को तीन टिकट दिए थे हालांकि उसके सभी उम्मीदवार चुनाव हार गए थे।

क्या है आरजेडी की रणनीति?

आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आरजेडी ईबीसी समुदाय से ज्यादा नेताओं को टिकट देने और सामान्य सीटों से दलित नेताओं को मैदान में उतारने की योजना पर काम कर रहा है। ठीक ऐसा ही उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने किया और उन्हें इससे दलितों का समर्थन मिला। बिहार में आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे और आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह ने कहा कि हम इस बार विधानसभा चुनाव में ईबीसी को ज्यादा अहमियत देंगे।

लोकसभा चुनाव में आरजेडी को भले ही कम सीटें मिली लेकिन उसने 22% से ज्यादा वोट शेयर हासिल किया। ईबीसी और दलित समुदाय को लुभाने के साथ ही आरजेडी की कोशिश अपनी जंगलराज वाली छवि को बदलने की भी है। देखना होगा कि पार्टी को अपने इन प्रयासों में कितनी कामयाबी मिलेगी।

बीजेपी की ‘खुशी’ में शामिल नहीं होंगे नीतीश कुमार, क्लिक कर जानिए बड़ी वजह।