Bihar Politics: महाराष्ट्र-हरियाणा विधानसभा चुनाव (Assembly Elections Results) में हुई विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन (India Alliance) की करारी हार के बाद से कांग्रेस की परेशानियां बढ़ी हैं। टीएमसी (TMC) से लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party), शिवसेना यूबीटी (Shivsena UBT), एनसीपी एसपी (NCP SP) जैसे राजनीतिक दल खुलकर यह कहने लगे कि कांग्रेस-बीजेपी (Congress-BJP) का मुकाबला करने में असहज है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) या मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) की बजाए तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जाी को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करना चाहिए।

अहम बात यह भी है कि इंडिया गठबंधन को लेकर सबसे आक्रामक आरजेडी और उसके कर्ता-धर्ता लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) रहे। हाल ही में उन्होंने इंडिया गठबंधन के नेता के तौर पर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का नाम आगे किया। उनसे जब ममता को विपक्षी गठबंधन का नेतृत्तव करने को लेकर सवाल किया गया तो लालू ने पूरे समर्थन से कहा, ठीक हैं, दे देना चाहिए।

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कांग्रेस की नाराजगी से लालू को नहीं पड़ता फर्क?

दिलचस्प बात यह है कि जब लालू से यह पूछा गया कि अगर ममता को विपक्षी गठबंधन का नेता बनाया गया तो कांग्रेस विरोध कर सकती है, तो इसको लेकर भी लालू ने स्पष्ट जवाब दिया और कहा कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। ममता बनर्जी को ही विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व की जिम्मेदारी दे देनी चाहिए।

कांग्रेस ने कर डाली मुस्लिम डिप्टी CM की मांग

लालू यादव कांग्रेस पार्टी के सबसे विश्वनीय सहयोगी नेता माने जाते हैं। ऐसे में आरजेडी के सर्वेसर्वा, लालू यादव का बयान कांग्रेस के लिए टेंशन का विषय है।

कांग्रेस सचिव शाहनवाज आलम ने आरजेडी पर हमला करते हुए कहा कि उनकी पार्टी 2025 के विधानसभा चुनाव जीतकर अगली सरकार बनाने की स्थिति में महागठबंधन (कांग्रेस, RJD और लेफ्ट का गठबंधन) एक मुस्लिम सहित दो उपमुख्यमंत्री” चाहेगी।

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सीट शेयरिंग पर पहले ही दबाव बनाने की कोशिश?

शाहनवाज आलम वही हैं जो कि पहले भी कांग्रेस आरजेडी को लेकर बयान देकर लालू खेमे को नाराज कर चुके हैं। लालू यादव के कांग्रेस को लेकर दिए गए बयान को एक प्रेशर पॉलिटिक्स माना जा रहा है। माना जा रहा है कि आरजेडी 2025 के अंत में होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव के सीट शेयरिंग में कांग्रेस को ज्यादा सीटें न देने के संकेत दे रही है।

2020 में कांग्रेस ने बिगाड़ा था खेल?

आरजेडी के एक वरिष्ठ नेता ने पिछले चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि 2020 के चुनावों में जब कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़कर 19 सीटें जीतीं, तो महागठबंधन ने 243 में से 112 सीटें जीतीं, जो बहुमत से सिर्फ़ 10 सीटों से दूर रह गई। आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़कर 75 सीटें जीतीं, जबकि हमारे दूसरे सहयोगी सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने 30 में से 12 सीटें जीतीं।

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RJD बोली- कांग्रेस करें आत्मचिंतन

RJD के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में यह भी कहा कि कांग्रेस को आत्मचिंतन करना चाहिए कि वह बिहार में अपनी जमीन क्यों खो रही है। कांग्रेस को अपनी ताकत और कमजोरियों के बारे में व्यावहारिक होना चाहिए।

आरजेडी नेता ने कहा कि जहां तक ​​लालू प्रसाद द्वारा ममता को समर्थन देने की बात है, तो पार्टी अपने रुख पर कायम है क्योंकि ममता अपने मजबूत BJP विरोधी रवैये के कारण विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए सबसे बेहतर उम्मीदवार हो सकती हैं।

कांग्रेस को संगठन मजबूत करने की सलाह

इस मामले में कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि पटना में बिहार कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम 1990 तक राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा था। तब से, इसमें शायद ही कोई गतिविधि हुई है क्योंकि कांग्रेस के नेता केवल पार्टी के प्रमुख नेताओं की जयंती और पुण्यतिथि के दौरान ही वहां इकट्ठा होते थे।

कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर पार्टी ने अपने कार्यालय परिसर में कुछ परिवारों को रहने की अनुमति नहीं दी होती, तो यह एक सुनसान जगह बन जाती। कांग्रेस को पहले अपने संगठन का पुनर्निर्माण करना चाहिए और फिर एक अच्छा राजनीतिक हितधारक बनने की कोशिश करनी चाहिए।

लालू से नाराज क्यों कांग्रेस के नेता?

कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन गुप्ता ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस एक अखिल भारतीय पार्टी है। हम जनवरी के मध्य से 243 विधानसभा सीटों में से प्रत्येक में सार्वजनिक बैठकें आयोजित करना शुरू कर देंगे। हर पार्टी को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन गठबंधन से संबंधित मामलों पर भारत ब्लॉक मंच पर चर्चा होनी चाहिए, सार्वजनिक रूप से नहीं।