RG Kar Rape-Murder Case: कोलकाता के चर्चित आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में शनिवार को सियालदह कोर्ट से फैसला आने की उम्मीद है। इससे पहले मृतक पीड़िता के पिता का बड़ा बयान सामने आया है। पीड़िता के पिता ने कहा कि वो न्याय पाने के लिए पांच साल तक इंतजार करने को तैयार हैं। हम भीख नहीं मांगेंगे, बल्कि लड़ेंगे और जरूरत पड़ी तो न्याय छीनकर लेंगे।
उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा , “संजय (रॉय, मुख्य आरोपी) एक अपराधी है। उसे सज़ा मिलेगी और कोर्ट जो भी तय करेगी, उसे वही सज़ा दी जाएगी। हम न्याय के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए। पिता ने कहा कि पांच महीने से कोई उचित जांच नहीं हुई है। जांच केवल पहले तीन दिनों तक हुई और उसके बाद कुछ नहीं हुआ। हमने कभी सीबीआई जांच की मांग नहीं की थी, लेकिन कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
बता दें, पिछले साल 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद देश भर में हंगामा और विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस घटना को लेकर अगस्त से आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने रॉय के लिए अधिकतम सजा की मांग की है । लेकिन कई लोगों का दावा है कि इसको लेकर एक सवाल अभी भी बना हुआ है।
जूनियर डॉक्टर देबाशीष हलधर ने कहा कि हमारे पास डीएनए और सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) की रिपोर्ट को लेकर सवाल हो सकते हैं। मकसद क्या था? इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे? क्या अकेले अपराध करना संभव है? सबूतों के साथ छेड़छाड़ क्यों की गई? किसने यह अफ़वाह फैलाने की कोशिश की कि पीड़िता ने आत्महत्या की है? इन सवालों के जवाब मिलने चाहिए।
हलदर ने कहा कि संजय रॉय को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए… हम चाहते हैं कि इसमें शामिल अन्य सभी लोगों को पकड़ा जाए, अन्यथा न्याय पूरा नहीं होगा। हम सीबीआई पर भरोसा बनाए रखना चाहते थे, लेकिन जिस तरह से उन्होंने सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ आरोपपत्र तैयार नहीं किया, उसका जवाब सीबीआई ने नहीं दिया। या तो वे अक्षम हैं या फिर इस सब के पीछे कोई बहुत शक्तिशाली व्यक्ति है।
इस बीच, टीएमसी के राज्य उपाध्यक्ष और प्रवक्ता जॉय प्रकाश मजूमदार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पूरे मामले ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रुख और राज्य पुलिस की कार्रवाई को सही साबित कर दिया है।
मजूमदार ने कहा कि हमने सीबीआई जांच की मांग को लेकर कई सार्वजनिक आंदोलन देखे हैं। अंत में, हम देखते हैं कि वे कह रहे हैं कि उन्हें सीबीआई पर कोई भरोसा नहीं है, और अब मृतका के माता-पिता कह रहे हैं कि सीबीआई ने ठीक से जांच नहीं की। यह दर्शाता है कि विरोध के दो मुख्य एजेंडे थे: पहला, कड़ी से कड़ी सज़ा की मांग करना, जिसका ममता बनर्जी और राज्य सरकार ने समर्थन किया था, लेकिन दूसरा राजनीतिक रूप से प्रेरित था और अब यह साबित हो चुका है।
हालांकि, भाजपा नेता अग्निमित्र पॉल ने दावा किया कि आरोपी संजय रॉय के अलावा इस मामले में ताकतवार लोग शामिल थे। सीबीआई के अनुसार, जिस तरह से शव कथित तौर पर मिला और जिस तरह से शव को कथित तौर पर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया, ऐसा एक व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। इसमें कई अन्य लोग शामिल हैं और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। हमें ममता बनर्जी, सीआईडी और राज्य पुलिस से कोई उम्मीद नहीं है…सीबीआई को अपना काम करना चाहिए। हम ऐसे अपराध के लिए मृत्युदंड चाहते हैं, उससे कम कुछ नहीं।
सीपीआई(एम) केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह स्पष्ट है कि अभया को न्याय दिलाने के लिए न तो राज्य प्रशासन और न ही केंद्र ने कोई पहल की है। इतने दिन बीत गए, लेकिन एक संदिग्ध के अलावा किसी की पहचान नहीं हो सकी। हर कोई समझ सकता है कि यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है। भले ही कई रिपोर्ट हैं, लेकिन सत्ताधारी पार्टी कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है। आम आदमी का विश्वास कम हो रहा है क्योंकि वे समझ रहे हैं कि किसी तरह की सेटिंग या समझ बनाई गई है। हम कानून के अनुसार सजा चाहते हैं।
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कांग्रेस नेता सौम्या ऐच ने कहा कि इस मामले में कई रहस्य हैं। आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस स्टेशन के ओसी अभिजीत मंडल को जमानत मिल गई, क्योंकि सीबीआई चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी… यह स्पष्ट है कि सीबीआई यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि राज्य पुलिस सही है। हम आरोपियों और साजिशकर्ताओं के खिलाफ सख्त से सख्त सजा चाहते हैं।
बता दें, 31 वर्षीय जूनियर डॉक्टर का शव आरजी कर अस्पताल के सेमिनार रूम में मिला था। अपराध के एक दिन बाद, नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया और उस पर बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया गया।
11 नवंबर 2024 को शुरू हुए इस जांच को पूरा होने में 59 दिन लगे। सीबीआई ने 13 अगस्त को मामले की जांच अपने हाथ में ली और 4 दिसंबर को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये गये। इस बीच, सीबीआई ने ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी अभिजीत मंडल और आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया था।
दोनों को कथित तौर पर सबूत नष्ट करने और मामले को दबाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन दिसंबर 2024 में दोनों को सियालदह कोर्ट ने जमानत दे दी थी, क्योंकि सीबीआई गिरफ्तारी के 90 दिनों के बाद भी दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रही थी। मेडिकल कॉलेज में कथित वित्तीय अनियमितताओं के एक अन्य मामले में घोष अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।
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(इंडियन एक्सप्रेस के लिए तनुश्री बोस की रिपोर्ट)