कृषि कानून पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछले करीब ढाई महीने से ज्यादा समय से गतिरोध जारी है। दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी शर्तों को लेकर झुकने के लिए तैयार नहीं हैं। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के दोनों सदनों से कृषि कानून पर विवाद का हल न निकलने देने के लिए आंदोलनजीवियों को जिम्मेदार ठहराया था। अब यह शब्द देशभर में सबकी जुबान पर है। रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्नब गोस्वामी ने भी अपने शो पूछता है भारत में इसी शब्द का इस्तेमाल कर कांग्रेस समेत विपक्ष पर निशाना साधा।

अर्नब ने कहा, “पीएम मोदी ने कृषि कानून के खिलाफ खड़े लोगों को बेनकाब कर दिया। पीएम ने बताया कि आंदोलनजीवियों ने किसान आंदोलन को अपवित्र कर दिया है। हमें आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों के बीच का फर्क अब समझना होगा।” अर्नब ने कहा कि ये आंदोलनजीवि सिर्फ बोलने में यकीन करते हैं, करते कुछ नहीं, सिर्फ बोलते हैं, रट्टा मार के। अगर कोई कुछ करना चाहे तो उसमें अड़ंगा डालते हैं।

रिपब्लिक टीवी के एडिटर ने आगे कहा, “ये कानून किसी को बांधने वाला नहीं है, ये तो आजादी देने वाला कानून है। फिर कानून को लेकर इतनी परेशानी क्यों है? जैसा की पीएम ने कहा असल में परेशानी किसानों को नहीं है। किसानों के मन में आंदोलनजीवियों ने डर बढ़ा दिया है, ऐसा डर जो पूरी तरह काल्पनिक है। अब समय है कि हम इस डर को हटाएं।”

अर्नब ने शो से ही सवाल उठाते हुए कहा, “आंदोलनजीवियों को कब तक कृषि कानून पर अफवाह फैलाने का मौका दिया जा सकता है? किसानों के आंदोलन में दंगाइयों और आतंकवादियों की रिहाई की मांग उठाने वालों को क्या माफ किया जा सकता है? पीएम के भाषण के दौरान कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट कर दिया, क्या कांग्रेस का किसानों की भलाई से कोई लेना-देना नहीं? और सबसे बड़ा सवाल- क्या पीएम की अपील के बाद आंदोलनकारी किसान आंदोलनजीवियों को बेनकाब करेंगे?”