चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बुधवार (20 अप्रैल 2022) को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दिल्ली स्थित आवास पर चौथी बार मुलाकात की। उनके प्रस्ताव का मूल्यांकन करने वाली टीम के अलावा, आज दो और नेता थे – अशोक गहलोत और भूपेश बघेल, ये दोनों कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस ने कहा कि इस मामले पर 72 घंटे के भीतर रिपोर्ट आने की उम्मीद है।

लगातार चुनाव हार रही कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर का चुनावी रणनीतिकार के तौर पर साथ, बेहद अहम माना जा रहा है। यही कारण है कि सोनिया गांधी ने इस कदम के लिए अपने सबसे भरोसेमंद लोगों को चुना है। प्रशांत किशोर के साथ बुधवार को हुई चौथे दौर की बैठक में भूपेश बघेल और अशोक गहलोत के अलावा जयराम रमेश, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल के अलावा खुद सोनिया गांधी भी मौजूद रहीं।

बैठक के बाद पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी प्रशांत किशोर के प्रस्तावों का मूल्यांकन कर रही है। उन्होंने कहा, “कई अन्य लोगों के इनपुट पर भी विचार किया जा रहा है और अगले 72 घंटों के भीतर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अंतिम रिपोर्ट सौंपी जाएगी।”

प्रशांत किशोर चुनावी रणनीति बनाने में माहिर माने जाते हैं वह प्रचंड मोदी लहर के दौरान बिहार में महागठबंधन के जरिए मोदी का विजय रथ रोक चुके हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में भी वह बीजेपी को पटखनी देकर ममता बनर्जी को जीत दिलवा चुके हैं। कांग्रेस के लिए जो उनका टारगेट है, उसके तहत 137 साल पुरानी इस पार्टी को उन्‍हें दोबारा से खड़ा करना होगा। प्रशांत किशोर के मामले पर कांग्रेस सामूहिक तौर पर निर्णय लेना चाहती है, हालांकि, अंतिम निर्णय सोनिया गांधी का ही होगा।

वैसे शुरुआती दौर में, अधिकतर कांग्रेस नेताओं ने प्रशांत किशोर के प्रस्तावों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह गुजरात के लिए केवल एक बार का प्रस्ताव था। बाद में, किशोर के संगठन IPAC ने कहा कि इसमें कांग्रेस का कायाकल्प और 2024 के आम चुनावों की रणनीति शामिल है। प्रशांत किशोर पहले भी कांग्रेस के लिए काम कर चुके हैं, लेकिन इस बार यहां मामला सिर्फ चुनावी रणनीति का नहीं है बल्कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने का भी सवाल है।

कांग्रेस प्रशांत किशोर के प्रस्‍ताव को लेकर इतनी सतर्कता इसलिए भी बरत रही है, क्‍योंकि इसमें कई बड़े बदलाव शामिल हैं, जिनसे पार्टी के पुराने बुजुर्ग नेता नाराज हो सकते हैं। वैसे कांग्रेस के कई बड़े नेता प्रशांत किशोर के डेटा विश्लेषण की ताकत का लोहा मानते हैं, वे यह भी स्‍वीकार करते हैं कि इससे पार्टी को लाभ होगा, उन्‍हें यह भी पता है कि प्रशांत किशोर के प्रस्‍ताव के विरोध में पार्टी का वर्ग जरूर खड़ा होगा।