प्रसिद्ध उपन्यासकार और लेखक एसएल भैरप्पा का बुधवार को बेंगलुरु के एक अस्पताल में हार्ट अटैक से निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। भैरप्पा को बेंगलुरु के राष्ट्रोत्थान अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भैरप्पा के निधन पर दुख जताया है। अस्पताल की एक प्रेस रिलीज के अनुसार भैरप्पा को दोपहर लगभग 2.38 बजे हार्ट अटैक आया।
कौन हैं भैरप्पा?
संतेशिवर लिंगन्नैया भैरप्पा को एसएल भैरप्पा के नाम से जाना जाता है। वह एक प्रसिद्ध कन्नड़ उपन्यासकार, दार्शनिक और पटकथा लेखक थे। उनका जन्म 20 अगस्त, 1931 को कर्नाटक के हासन में हुआ था। वे 25 वर्षों से भी अधिक समय तक कन्नड़ भाषा के सबसे अधिक बिकने वाले लेखकों में से एक रहे। उनकी कई रचनाओं का हिंदी और अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया।
पीएम मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा: “एस.एल. भैरप्पा जी के निधन से, हमने एक ऐसे महान व्यक्तित्व को खो दिया है जिन्होंने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया और भारत की आत्मा में गहराई से उतर गए। एक निडर और कालातीत विचारक, उन्होंने अपनी विचारोत्तेजक रचनाओं से कन्नड़ साहित्य को समृद्ध किया। उनके लेखन ने पीढ़ियों को चिंतन करने, प्रश्न करने और समाज के साथ अधिक गहराई से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। हमारे इतिहास और संस्कृति के प्रति उनका अटूट जुनून आने वाले वर्षों में लोगों को प्रेरित करता रहेगा। इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
भैरप्पा का पहला उपन्यास, भीमकाय, 1958 में प्रकाशित हुआ था। तब से भैरप्पा ने लगभग 25 उपन्यास लिखे। उन्होंने एनसीईआरटी (दिल्ली) में तीन दशकों से अधिक समय तक दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया। एसएल भैरप्पा को 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। 2023 में भारत सरकार ने साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भैरप्पा को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।
अमित शाह ने भी जताया दुख
गृह मंत्री अमित शाह ने भी भैरप्पा के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने X पर लिखा, “प्रसिद्ध कन्नड़ उपन्यासकार एस.एल. भैरप्पा जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूं। भैरप्पा जी ने छह दशकों तक भारतीय दार्शनिक परंपरा के अपने ज्ञान और सामाजिक मुद्दों पर अपनी अंतर्दृष्टि से हमारे साहित्य को समृद्ध किया। 2023 में मोदी सरकार ने उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। उनका निधन हमारे समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इस कठिन समय में मेरी संवेदनाएँ उनके परिवारजनों और अनुयायियों के साथ हैं।”