भारत-चीन के बीच हुए समझौते पर पहल करते हुए दोनों देशों की सेना पूर्वी लद्दाख के गोगरा क्षेत्र से पीछे आ गई है। भारत चीन की सेनाओं के बीच 12वें दौर की बातचीत में ये फैसला हुआ था।

इसी समझौते पर सवाल खड़ा करते हुए जाने-माने जियोस्ट्रैटेजिस्ट ब्रह्म चेलानी ने कई दावे किए हैं। उन्होंने कहा कि चीन से हाल में हुए समझौते में भारत ने काफी कुछ खो दिया है। इसमें सिर्फ ड्रैगन का फायदा नजर आ रहा है। अपने इस दावे के साथ ब्रह्म चेलानी ने कई ट्वीट भी किए। ब्रह्म चेलानी के इस दावे को बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी रीट्वीट किया। स्वामी चीन के मुद्दे पर सरकार से कई बार अलग विचार रख चुके हैं।

चेलानी के इस ट्वीट के बाद कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने ट्रोल करने के लहजे में उनसे सवाल पूछा।

@4mybharat ने ट्वीट कर कहा कि वाह सर, आपने तो ट्विटर पर बैठ करके ही भारतीय सेना को पराजित और चीन की सेना को विजय घोषित कर दिया , धन्य हो आपके पराक्रम को। @SanathanaDharm3 ने ट्वीट करते हुए कहा- “क्या आप हमें बता सकते हैं कि विकल्प क्या है?”

@someshdabral ने लिखा- “सर, इस विषय पर आपकी विशेषज्ञता को चुनौती नहीं दी जा सकती, चाहे हम इसे पसंद करें या न करें, लेकिन क्या आप बता सकते हैं कि सरकार ने इस पर सहमति क्यों दी थी? सरकार भी चीन को जमीन नहीं देना चाहती है, तो क्या कारण है, क्या कोई योजना बी है, जिस पर सरकार काम कर रही है।

बता दें कि चेलानी ने कहा था कि भारत की तरफ से घोषित ताजा गोगरा डिसइन्गेजमेंट जुलाई 2020 गलवान, फरवरी 2021 के पैंगोंग क्षेत्र के विसैन्यीकरण के जैसी है। यह चीन को सचमुच दो बार जीतने की अनुमति देता है। चीन पहले अतिक्रमण करता है, फिर यथास्थिति को औपचारिक रूप देते हुए भारत पर बफर जोन थोपता है। यह चीन की जीत पर जीत है। पहला- गलवान सौदा एलएसी में थोड़े बदलाव के साथ तीन किमी चौड़ा बफर जोन बनाता है। भारत अपने पैट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 तक पहुंच खो देता है। दूसरा- पैंगॉन्ग सौदा भारत को रणनीतिक कैलाश हाइट्स को खाली करने के लिए मजबूर करता है, जबकि तीसरा- गोगरा सौदा पांच किमी का बफर बनाता है, जिससे भारत पीपी-17 ए तक पहुंच खो देता है।

भारत-चीन सीमा पर पुरानी स्थिति को बहाल करने को लेकर जो समझौता हुआ है, उसपर भले ही अमल हो रहा है, लेकिन सरकार इस इलाके को लेकर अभी भी सतर्क है। एलएसी पर जहां टैंक रेजिमेंट भी तैनात है वहीं नेगेव लाइट मशीन गन, टेवर-21 और एके-47 असॉल्ट राइफलों से लैस गरुड़ स्पेशल फोर्स के जवानों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात किया गया है। इसके साथ ही एयरफोर्स का रूस निर्मित मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम भी लगाया गया है ताकि, किसी भी तरह के हवाई हमले को रोका जा सके।