दामिनी नाथ

Election Commission on RVM: चुनाव आयोग (Election Commission) ने सोमवार को रिमोट वोटिंग पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में 8 राजनीतिक दलों के 16 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। लगभग सभी राजनीतिक दलों ने इसे अटेंड किया। लगभग सभी राजनीतिक दल जो इस बैठक का हिस्सा थे, उन्होंने रिमोट वोटिंग मशीन (RVM) का विरोध किया। इसके बाद चुनाव आयोग ने इसके डेमो को रोक दिया।

चुनाव आयोग के एक अधिकारी के अनुसार बैठक में आठ राष्ट्रीय दलों (बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, बीएसपी, सीपीआई (एम), सीपीआई और एनपीपी) के 16 प्रतिनिधि उपस्थित थे। 40 राज्य दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 67 प्रतिभागियों ने भी नई दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब (Constitution Club) में आयोजित चर्चा में भाग लिया।

अधिकारी ने कहा कि राजनीतिक दलों के मतदान प्रतिशत बढ़ाने के व्यापक उद्देश्य से सहमत थे, जबकि कुछ ने राज्यों में RVM के डेमो की मांग की। अन्य चाहते थे कि प्रस्ताव पर आगे बढ़ने से पहले घरेलू प्रवासियों की अवधारणा को परिभाषित किया जाए। नतीजतन, चुनाव आयोग ने पार्टियों द्वारा मामले पर लिखित विचार प्रस्तुत करने की तारीख को 31 जनवरी से बढ़ाकर 28 फरवरी करने का फैसला किया है। चुनाव आयोग ने 28 दिसंबर 2022 को सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य दलों को प्रवासियों के बीच मतदान में वृद्धि के अपने प्रस्ताव के बारे में लिखा था।

BJP और BJD ने नहीं किया विरोध

सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भाजपा (BJP) और एक हद तक बीजेडी (BJD) को छोड़कर अन्य सभी दलों ने प्रस्ताव का विरोध किया। यहां तक ​​कि भाजपा, जिसका प्रतिनिधित्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Union Environment Minister Bhupender Yadav) कर रहे थे, उन्होंने कहा कि पार्टी लिखित रूप में अपने विचार देगी। भूपेंद्र यादव ने कहा कि भाजपा सैद्धांतिक रूप से सहमत है कि मतदान प्रतिशत बढ़ाया जाना चाहिए और ‘लापता मतदाताओं’ को वोट देने का मौका मिलना चाहिए। लेकिन अपनाई जाने वाली प्रक्रिया चर्चा का विषय है और चुनाव आयोग इसके बाद फैसला करेगा।

नेताओं ने ईवीएम का मुद्दा उठाया

नेताओं ने चुनावी बॉन्ड से लेकर अभद्र भाषा और ईवीएम की कार्यप्रणाली तक कई मुद्दे उठाए। उन्होंने तर्क दिया कि इलेक्टोरल बॉन्ड में पारदर्शिता की कमी है और लेवल प्लेइंग फील्ड खत्म हो गया है। प्रवीण चक्रवर्ती के साथ अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Congress leader Digvijaya Singh) ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि चुनाव आयोग द्वारा तैयार अवधारणा नोट और नेताओं को दी गई प्रस्तुति से पता चलता है कि आयोग कंफ्यूज था।

आरजेडी के मनोज कुमार झा ने भड़काऊ भाषणों का मुद्दा उठाया। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण देने के बाद लोग मुख्यमंत्री बन गए हैं जबकि चुनाव आयोग मूकदर्शक बना हुआ है। (यह भी पढ़ें: आप मोबाइल, टैबलेट या लैपटॉप पर इंटरनेट कनेक्ट करके डिजिटल वोटर आईडी कार्ड को डाउनलोड कर सकते हैं।)

आप सांसद संजय सिंह (AAP MP Sanjay Singh) ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव वाले राज्य के बाहर दूरदराज के मतदाताओं के लिए आदर्श आचार संहिता का पालन कैसे किया जाएगा। साथ ही उन्होंने पूछा कि कैसे पार्टियां और विशेष रूप से छोटी पार्टियां कई स्थानों के लिए पोलिंग एजेंट नियुक्त करने में सक्षम होंगी। उन्होंने कहा, “यह व्यावहारिक नहीं है। मैंने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को लोगों को मतदान करने के लिए अपने गृहनगर जाने के लिए एक दिन के बजाय चार दिन की छुट्टी देनी चाहिए। वे (उनके लिए) बसों और ट्रेनों में यात्रा मुफ्त कर सकते हैं।”

RVM इंटरनेट से जुड़ा नहीं होगा

RVM एक स्टैंड-अलोन डिवाइस होगा, जो इंटरनेट से जुड़ा नहीं होगा। एक समय में यह 72 निर्वाचन क्षेत्रों को संभालने में सक्षम होगा और मतदाता एक कोड का उपयोग करके अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवारों को देख सकेंगे। रिटर्निंग ऑफिसर के पास योग्य मतदाताओं के पंजीकरण के बाद निर्वाचन क्षेत्र के बाहर के स्थानों में विशेष दूरस्थ मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

अपने प्रस्ताव के पीछे का कारण बताते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि पिछले कुछ चुनाव में मतदान स्थिर था, जैसे 2019 में 67.40 प्रतिशत और 2014 में 66.44 प्रतिशत। चुनाव आयोग ने कहा कि वह चिंतित है कि लगभग 30 करोड़ पंजीकृत मतदाता मतदान को छोड़ना पसंद कर रहे थे।