महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे को हेट स्पीच के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। जस्टिस जसमीत सिंह ने देश के कई शहरों की अदालतों से राज ठाकरे की पेशी के लिए जारी समनों को रद्द करते हुए अनूठी दलील दी। जस्टिस का कहना था कि धर्म कोई इंसान है क्या। वो इंसान सरीखा कमजोर तो नहीं जो किसी की बात से उसका दिल टूट जाए। उनका कहना था कि न ही किसी के कहने से भावनाएं भड़कती हैं। खास बात है कि हेट स्पीच के मामले में ही सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए हाथ पर हाथ धरे बैठीं सरकारों को नपुंसर तक कह डाला था।

जस्टिस जसमीत ने राज ठाकरे के खिलाफ समन जारी करने वाले मजिस्ट्रेटों को फटकार लगाते हुए कहा कि बगैर जांच किए समन कैसे जारी कर दिए गए। ये तो कानून के हिसाब से ठीक नहीं है। देश के अलग-अलग हिस्सों में दायर सात शिकायतों में राज ठाकरे पर देश द्रोह का आरोप लगा था। पटना, बेगुसराय, रांची और बोकारो की अदालतों के समन पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि केस चलाने के लिए अनुमति नहीं ली गई है। लिहाजा आईपीसी की धारा 124A, 153A, 153B और 295A के तहत जारी समन सही नहीं कहे जा सकते हैं।

2008 में राज ठाकरे ने छठ पूजा को लेकर दिया था विवादित बयान, शिकंज कसा तो पहुंच गए SC

राज ठाकरे ने तकरीबन 15 साल पहले 2008 में छठ पूजा को लेकर एक समुदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उसके बाद उनके खिलाफ देश के कई शहरों में शिकायतें दर्ज हुईं। राज ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

2010 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों को एक जगह पर इकट्ठा करने का आदेश देते हुए कहा कि एक अदालत सभी मामलों की सुनवाई करे। सारे मामले दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिए गए। लेकिन बिहार में दायर सात शिकायतों को लेकर समन जारी हुए तो राज ठाकरे ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच में एक्शन न होने पर सरकारों को कहा था नपुंसक

हेट स्पीच के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा था कि हेट स्पीच के मामलों पर सरकारों को तुरंत एक्शन लेना चाहिए। लेकिन सरकारें नपुंसक हो गई हैं। तभी हेट स्पीच पर लगाम नहीं लग पा रही है।