योग गुरु रामदेव के लिए बिहार से एक बुरी खबर है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की राज्य इकाई ने आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ रामदेव के बयानों के लिए मामला दर्ज करने की योजना बनाई है। डॉक्टरों की निकाय का मानना है कि पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक द्वारा सार्वजनिक रूप से व्यक्त किए गए ऐसे विचार लोगों को टीकाकरण को लेकर गुमराह करने और कोविड महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई को प्रभावित करने का काम कर रहे हैं। राज्य इकाई ने 38 जिलों में अपनी 105 इकाइयों को रामदेव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की योजना बनाई है।
मालूम हो कि रविवार को पटना में हुई बैठक में IMA बिहार ने महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज करने का निर्णय लिया। आईएमए के निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह के अनुसार, पटना उच्च न्यायालय में रामदेव के खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर की जाएगी। सिंह ने कहा, “हम यह कदम उठाने के लिए मजबूर हैं क्योंकि बाबा रामदेव ने टीकाकरण के बारे में भ्रम पैदा किया है और यह एक मुख्य कारण है कि देश भर की सरकारें टीकाकरण के खिलाफ प्रतिरोध का सामना कर रही हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में।”
डॉक्टर ने कहा, “केंद्र सरकार रामदेव की रोजाना टीवी पर बकवास करने के बावजूद उन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है। उनकी कार्रवाई उन्हें जेल भेजने के बजाय पत्र-लेखन तक सीमित है।”
बता दें कि आईएमए और रामदेव के बीच पिछले कुछ हफ्तों में तीखी बहस हुई है। दोनों पक्ष ऐलोपैथी बनाम आयुर्वेद के मुद्दे पर आमने-सामने रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए गए एक वीडियो में, रामदेव को यह कहते हुए सुना गया है कि “एलोपैथिक दवाओं के कारण” लाखों लोग मारे गए थे, जो कि ऑक्सीजन की कमी के कारण अपनी जान गंवाने वालों की तुलना में कहीं अधिक हैं।
रामदेव पर आधुनिक चिकित्सा को “बेवकूफ और दिवालिया” विज्ञान कहने का भी आरोप है। इसके बाद डॉक्टरों की निकाय ने रामदेव को मानहानि का नोटिस दिया और माफी मांगने को कहा। साथ ही 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की।
पतंजलि के संस्थापक ने बाद में अपनी अपमानजनक टिप्पणी वापस ले ली। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रामदेव की कोरोनिल दवा की कैमिकल जांच भी कर रहा है।