बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की सब्सिडियरी रुचि सोया के एफपीओ (follow-on public offering) का 5 अप्रैल को अलॉटमेंट फाइनल हो चुका है। अलॉटमेंट फाइनल होने के बाद बुधवार को इसके शेयरों में बिकवाली के शुरुआती कारोबार में यह करीब 19 फीसदी तक फिसल गया। इससे निवेशकों में घबराहट है। मंगलवार को बीएसई पर यह 875.45 रुपये के भाव पर बंद हुआ था और बुधवार को यह कारोबार की शुरुआत में 706.00 रुपये के निचले भाव पर खुला था। हालांकि कारोबार आगे बढ़ने पर इसमें रिकवरी हुई और अभी यह 775.00 रुपये के भाव पर है।

रुचि सोया का 4300 करोड़ रुपये का एफपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 24-28 मार्च को खुला था और 2 रुपये की फेस वैल्यू वाले शेयरों के लिए 615-650 रुपये प्रति शेयर का प्राइस बैंड तय किया गया था। शेयरों का अलॉटमेंट 650 रुपये प्रति शेयर हुआ है। एफपीओ के जरिए जो शेयर इश्यू हुए हैं, उनकी मार्केट में 8 अप्रैल को लिस्टिंग है।

रुचि सोया के एफपीओ को विवादों का सामना करना पड़ा। पतंजलि के ग्राहकों को रुचि सोया के एफपीओ को लेकर एसएमएस भेजे गए, जिसके चलते यह एफपीओ बाजार नियामक सेबी के रडार पर आ गया। कंपनी के प्रमोटर्स ने कहा कि इन संदेशों को भेजने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

हालांकि सेबी ने निवेशकों को एफपीओ की बिड को वापस लेने की मंजूरी दे दी। बीएसई के आंकड़ों के मुताबिक सेबी की मंजूरी के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अपनी 97 फीसदी बिड वापस ले ली।

इसके अलावा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स ने भी अपनी 1.1 फीसदी बिड वापस ले ली और कर्मियों ने 4.84 फीसदी व खुदरा निवेशकों ने 2.6 फीसदी बिड वापस ले लिया। हालांकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशंस और म्यूचुअल फंड्स ने बिड वापस नहीं लिया।

उधर, सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच मंगलवार को पूंजी बाजार से संबंधित नियामकीय मुद्दों के संदर्भ में वित्त मामलों की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष पेश हुईं और उनसे एनएसई विवाद, सहारा मामले, पेटीएम और बाबा रामदेव के नेतृत्व वाले पतंजलि समूह के रुचि सोया के शेयर प्रस्तावों पर पूछताछ की गई। सूत्रों ने यह जानकारी दी। समिति के सूत्रों ने कहा कि पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक ढाई घंटे से अधिक समय तक चली, जिसमें क्रिप्टोकरंसी पर भी सवाल जवाब हुए।