नेपाल में जानकी मंदिर के पुजारी राम तपेश्वर दास उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्होंने भारत-नेपाल बॉर्डर पर मतिहनी के पास रोक दिया गया।
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के पदाधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट ‘ThePrint’ को दी। हालांकि, दास को किस वजह से रोका गया था? इस पर फिलहाल आधिकारिक जानकारी नहीं है।
नाम न बताने की शर्त पर विहिप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, “दास भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। उन्हें COVID-19 के चलते सीमा पार नहीं करने दी गई।”
दरअसल, सोमवार को Ram Janmabhoomi Teertha Kshetra Trust के महासचिव चंपत राय ने कहा था कि नेपाल के जनकपुर स्थित जानकी मंदिर के महंत को भी भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए निमंत्रण भेजा गया है।
सोमवार को उन्होंने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा था- नेपाल के संत भी कार्यक्रम में आएंगे। जनकपुर का बिहार, यूपी और अयोध्या से खास नाता है। जानकी मंदिर के महंत भी यहां आएंगे।
भूमि पूजन के मददेनजर नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ीः भूमि पूजन कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी के शामिल होने के मददेनजर बलरामपुर जिले से सटी नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गयी है और सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है।
पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा ने समाचार एजेंसी ‘भाषा’ को मंगलवार को बताया कि बुधवार को अयोध्या मे प्रस्तावित भूमि पूजन कार्यक्रम के मददेनजर जिले से लगी नेपाल की 87 किलोमीटर की सीमा पर सशस्त्र सीमा बल(एसएसबी) और पुलिस की संयुक्त पेट्रोलिंग जारी है। जंगल से सटे इलाकों में भी पेट्रोलिंग कर अवांछनीय गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
उन्होंने बताया कि पांच स्तर की सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई है और ऐसे 41 प्वाइंट चिह्नित किये गये हैं जो नेपाल बार्डर से मिलते हैं। इनमें कच्चे रास्ते और पगडंडियां भी शामिल हैं। पुलिस और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की संयुक्त टीम इन मार्गों से आने जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की सघन चेकिंग कर रही है।
उन्होंने बताया कि नेपाल सीमा से लगे थानों की पुलिस द्वारा भी चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। नेपाल सीमा से सटे इलाकों में स्थित चौराहों पर भी पुलिस की पैनी नजर है।
नेपाल के PM ने दिया था राम-अयोध्या पर विवादित बयानः नेपाल से भारत आने वाले महंत को तब रोका गया, जब कुछ ही रोज पहले वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने राम और अयोध्या पर बयान देकर विवाद पैदा किया था। उन्होंने दावा किया था कि श्री राम का असल जन्मस्थान यूपी के अयोध्या में नहीं बल्कि नेपाल के पश्चिमी बीरगंज स्थित थोरी में है।
हालांकि, विवाद बढ़ने पर नेपाल के विदेश मंत्रालय की ओर से इस बयान पर सफाई भी आई थी। कहा गया था- पीएम का बयान किसी भी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मकसद से नहीं दिया गया था।
बता दें कि जानकी मंदिर प्रभु श्री राम की पत्नी सीता को समर्पित है। कहा जाता है कि वह वहीं (जनकपुर) की रहने वाली थीं। सीता मां को जानकी भी कहा जाता है, क्योंकि उनके पिता का नाम जनक था।