प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर धर्म संसद का आयोजन करने जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि इसके लिए साधु संतों और दूसरे धर्म गुरुओं के आलावा राजनीतिक हस्तियों को भी न्योता दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक वीएचपी ने धर्म संसद में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) सरसंघचालक मोहन भागवत को भी न्योता दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धर्म संसद में राजनीतिक हस्तियों को बुलाए जाने पर संत समाज से कुछ लोगों ने विरोध जताया है। मजे की बात यह भी है कि 30 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई होनी है और उसके अगले दिन प्रयागराज में मंदिर को लेकर धर्म संसद का आयोजन होगा। धर्म संसद का आयोजन दो दिन 31 जनवरी और 1 फरवरी को होगा।
बुधवार (19 दिसंबर) को भाजपा संसदीय दल की बैठक में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर उठी मांग के बीच भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि राम मंदिर पर सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए। वह न्यूज18 इंडिया के कार्यक्रम चौपाल में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का मुद्दा उनके किए चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता का मुद्दा है। उन्होंने कहा, “चुनाव आते ही राम मंदिर का मुद्दा इसलिए उठता है, क्योंकि उसी समय राजनीतिक पार्टियों पर दबाव बनाना आसान होता है।”
बता दें कि जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही राम मंदिर के निर्माण को लेकर मांग जोर पकड़ती जा रही है। आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी पिछले दिनों केंद्र की भाजपा सरकार से राम मंदिर के निर्माण को लेकर संसद में अध्यादेश लाने का भी आह्मवान किया था। कई हिंदूवादी संगठन भी सरकार से लगातार राम मंदिर को लेकर गुहार लगा रहे हैं। शिवसेना ने इस मामले में आक्रामक रुख दिखाते हुए राम मंदिर के लिए बढ़चढ़ कर मुहिम में हिस्सा लिया और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पिछले अयोध्या में दस्तक भी दी थी।