मशहूर वकील राम जेठमलानी की आज 97वीं जन्मतिथि है। एक रुपए की फीस से अपने करियर की शुरुआत करने वाले राम जेठमलानी देश के बड़े वकीलों में शुमार रहे और इतने चर्चित हुए कि देश के न्यायपालिका के इतिहास में उनकी जगह हमेशा रहेगी। 14 सितंबर 1923 को सिंध के शिकारपुर में जन्म राम जेठमलानी के पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने अपने खानदानी पेशे वकालत को चुना।
बचपन से ही मेधावी रहे राम जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में ही वकालत की पढ़ाई पूरी कर ली थी और वह विशेष सुविधा पाकर सिर्फ 18 साल की उम्र में वकील बन गए थे। जेठमलानी देश के बंटवारे के बाद मुंबई आ गए थे और यहीं पर अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। वकालत के साथ ही वह राजनीति में भी आ गए और 1971 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा। हालांकि वह ये चुनाव हार गए थे।
इसके बाद इमरजेंसी के दौरान जब सरकार ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था तो वह कनाडा भाग गए थे और इमरजेंसी खत्म होने के बाद ही भारत वापस लौटे थे। राम जेठमलानी का विवादों से भी खूब नाता रहा।
राम जेठमलानी ने ही इंदिरा गांधी के हत्यारों का केस लड़ा था। इसके बाद राजीव गांधी के हत्यारे का केस भी जेठमलानी ने ही लड़ा था। राम जेठमलानी 1988 में राज्यसभा पहुंचे थे। इसी दौरान बोफोर्स घोटाले की खूब चर्चा थी। जेठमलानी ने राज्यसभा में तत्कालीनी पीएम राजीव गांधी पर खूब निशाना साथा था। इस मुद्दे पर राम जेठमलानी ने राज्यसभा में राजीव गांधी से 400 के करीब सवाल पूछे थे। जेठमलानी उस वक्त स्वीडन के दौरे पर भी गए थे वहां से लौटने के बाद राजीव गांधी पर रिश्वत का आरोप लगा दिया था।
देश के विवादित मुकदमों में हाथ डालने से राम जेठमलानी नहीं हिचकिचाते थे। यही वजह रही कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु, आसाराम बापू, अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तान और शेयर मार्केट घोटाले के आरोपी हर्षद मेहता का केस लड़ा। इसके साथ ही हवाला केस में फंसेल लालकृष्ण आडवाणी, सोहराबुद्दीन केस में अमित शाह, जेसिका लाल हत्याकांड में मनु शर्मा और चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के मामले की पैरवी की।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जेठमलानी कानून मंत्री भी रहे। उस दौरान राम जेठमलानी और तत्कालीन चीफ जस्टिस ए एस आनंद के बीच किन्हीं मुद्दों पर टकराव की स्थिति बन गई थी। इसके चलते एटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ ही राम जेठमलानी के मतभेद हो गए थे। इससे न्यायपालिका और कार्यपालिका में टकराव की स्थिति बन गई थी। इसके बाद वाजपेयी ने टकराव को रोकने के लिए जेठमलानी का इस्तीफा मांग लिया था।