राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र अव्हाण ने भगवान राम पर अपने बयान से विवाद खड़ा कर दिया है। अव्हाण ने आम धारणा के विपरीत बुधवार को दावा किया कि भगवान राम बहुजनों के राजा के थे और मांसाहारी थे।
जितेंद्र अव्हाण ने बुधवार को महाराष्ट्र के शिरडी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “राम हमारे हैं। राम बहुजनों के हैं। राम जो शिकार करते हैं और खाते हैं हमारे, हम लोग बहुजन हैं। जब आप लोग हम सबको शाकाहारी बनाने जाते हैं, तो हम राम के आदर्शों पर चलते हैं और आज हम मटन खाते हैं। यही राम का आदर्श है। राम शाकाहारी नहीं थे, मांसाहारी थे।”
इस मामले पर बहस शुरू करते हुए अव्हाण ने पूछा, “14 साल तक जंगल में रहने वाला व्यक्ति शाकाहारी भोजन खोजने के लिए कहां जाएगा? क्या यह सही है या नहीं? अगर मैं सच नहीं कह रहा हूं तो मुझे बताएं।”
उनकी मानसिकता राम भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की- राम कदम
भगवान राम के मांसाहारी होने संबंधी बयान को लेकर भाजपा नेता राम कदम ने कहा, “उनकी मानसिकता राम भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की है। वोट बटोरने के लिए वे हिंदू धर्म का मजाक नहीं उड़ा सकते। यह बात कि राम मंदिर बनाया गया है, घमंडी गठबंधन को रास नहीं आ रही है।” इससे एक दिन पहले भाजपा विधायक राम कदम ने 22 जनवरी को अयोध्या अभिषेक समारोह के दिन महाराष्ट्र सरकार से शराब और मांस पर एक दिन का प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया था।
जितेंद्र अव्हाण के बयान के खिलाफ बीजेपी का विरोध प्रदर्शन
पुणे में भाजपा कार्यकर्ताओं ने NCP-शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र अव्हाण के बयान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा नेता राम कदम ने भगवान राम को मांसाहारी बताने वाले बयान के लिए NCP-शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र अव्हाण के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए शिकायत दर्ज कराई। भाजपा नेता राम कदम ने कहा, “पुलिस ने हमें आश्वस्त किया है कि वीडियो फुटेज की जांच करके उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ये प्रभु राम चंद्र जी के दिए गए आदर्शों पर चलने वाली सरकार है। महाराष्ट्र की भूमि पर हम किसी को भी देवी-देवताओं का अपमान नहीं करने देंगे।”
जितेंद्र के बयान पर राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, “NCP के नेता जो बोल रहे हैं वो बिल्कुल गलत है। किसी भी शास्त्र में ऐसा नहीं लिखा है कि भगवान जब वनवास के लिए गए थे तो उन्होंने मांस खाया था। सभी जगह लिखा है कि उन्होंने कंद-मूल फल खाए। शास्त्र ही प्रमाण हैं, ये विचार निंदनीय हैं।”