भाजपा ने बिहार से अपनी एकमात्र राज्य सभा सीट से पूर्व प्रदेशाध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी के इस कदम ने राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया है। गोपाल नारायण के लिए भाजपा ने विधान परिषद में पार्टी के नेता सुशील कुमार मोदी की अनदेखी की है। मोदी और पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन का नाम राज्य सभा की उम्मीदवारी के लिए माना जा रहा था। सूत्रों के अनुसार मोदी को संसद के ऊपरी सदन के लिए पार्टी से सिग्नल भी मिल चुका था। लेकिन आखिरी पलों में बदलाव किया गया और गोपाल नारायण सिंह के नाम का एलान किया गया।
सुशील मोदी के एक करीबी ने बताया, ”कई भाजपा नेताओं ने तो मोदीजी को बधाई भी दे दी थी।” सूत्रों के अनुसार मोदी के खिलाफ आरएसएस को कुछ संशय था। इसके अलावा कुछ नेताओं ने बताया कि मोदी को राज्य सभा भेजने से गलत संदेश जाएगा। उनका कहना था कि लोगों मानेंगे कि बिहार विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद मोदी को सम्मानित किया गया है। गौरतलब है कि सुशील मोदी बिहार में जेडीयू-भाजपा सरकार में उपमुख्यमंत्री भी थे।
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वहीं गोपाल नारायण सिंह के लिए राज्य सभा का उम्मीदवार बनाए जाना वापसी के समान है। वे रोहतास से आते हैं और राजपूत हैं। बिहार भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल पूरा करने के बाद आठ साल तक वे पूरी तरह से निष्क्रिय रहे। एक सूत्र ने बताया, ”हो सकता है सिंह को सुशील मोदी के अवसरों को नष्ट करने के लिए चुना गया हो।” रोचक बात है कि गोपाल नारायण सिंह औरंगाबाद के नबीनगर से पिछले विधानसभा चुनाव हार गए थे। वे आठ बार इस तरह से हार चुके हैं।
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भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ”यदि मोदी या हुसैन में से किसी को चुना जाता तो लॉजिक समझा जा सकता था। लेकिन सिंह का मामला तो साफ-साफ लॉबीइंग का है। जहां तक ऊंची जातियों की राजनीति का सवाल है तो बिहार में राजपूतों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। राजीव प्रताप रूडी और राधा मोहन सिंह सांसद और मंत्री भी हैं।
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