लोकसभा में भाजपा से पिछड़ने के बाद अब संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में कांग्रेस कमजोर पड़ती जा रही है। शनिवार को राज्यसभा की 27 सीटों के चुनाव के बाद अब राज्य सभा में कांग्रेस के 59 सांसद रह गए हैं। वह पहली बार राज्य सभा में 60 सांसदों से नीचे आई है। वहीं भाजपा ने पहली बार 50 का आंकड़ा पार कर लिया। भाजपा के अब 53 सांसद हो गए। शनिवार को नतीजों में सपा के 7, बसपा के 2, भाजपा के 10, कांग्रेस के छह सांसद चुने गए। इनके अलावा दो भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार भी राज्यसभा पहुंच गए। पिछले महीने राज्य सभा की 57 सीटें खाली हुई थी, इनमें से 30 पर सांसद निर्विरोध चुने गए थे।
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निर्विरोध चुने गए 30 सांसदों में से 11 एनडीए, 5 यूपीए, 4 अन्नाद्रमुक, 3 बीजद, दो जेडीयू, दो राजद, दो द्रमुक सांसद हैं। इन चुनावों के बाद राज्य सभा के समीकरणों में खासा बदलाव आ गया है। कांग्रेस के गठबंधन यूपीए की तुलना में भाजपा नेतृत्व वाला एनडीए बढ़त में आ गया है। अब एनडीए के 74 जबकि यूपीए के 71 राज्य सभा सांसद हैं। एनडीए के पांच सांसद बढ़े हैं जबकि यूपीए के तीन घटे हैं। वहीं 89 सांसद ऐसी पार्टियों के हैं जो इन दोनों गठबंधन से जुड़ी हुई नहीं हैं।
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इन सांसदों में 19 सपा के, 12 जेडीयू-राजद के, 12 तृणमूल कांग्रेस के, 13 अन्नाद्रमुक, 6 बसपा, 8 सीपीएम, 7 बीजद और 5 द्रमुक के हैं। इन चुनावों के बाद ताकत बढ़ने से भाजपा को उम्मीद है कि मानसून सत्र में वह जीएसटी बिल को पास करा पाने में सफल रहेगी। पश्चिम बंगाल में चुनाव जीत दोबारा सत्ता में आने वाली तृणमूल कांग्रेस ने भी जीएसटी पर समर्थन का ऐलान किया है।
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