वाकया 2016 के राज्यसभा चुनाव का है। हरियाणा में बीजेपी ने निर्दलीय के तौर पर सुभाष चंद्रा को बाहर से समर्थन किया था। कांग्रेस और इनेलो ने सुप्रीम कोर्ट के वकील आरके आनंद को उम्मीदवार बनाया था। आंकड़े सुभाष चंद्रा के पक्ष में नहीं थाय़ लेकिन 14 कांग्रेस विधायकों के वोट गलत पेन यूज करने की वजह से रद्द हो गए थे। आनंद ने धांधली का आरोप लगाते हुए कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर अभी भी केस चल रहा है। नामांकन के गणित को देखा जाए तो लगता है कि हरियाणा, महाराष्ट्र में 2016 की तरह खेल होने का संकेत मिल रहा है।

हरियाणा में राज्‍यसभा की दो सीटों के चुनाव के लिए आज अंतिम दिन कांग्रेस की ओर से अजय माकन ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। भाजपा की ओर से कृष्‍णलाल पंवार ने पर्चा भरा है। लेकिन इन सबके बीच पूर्व मंत्री विनोद शर्मा के पुत्र कार्तिक ने भी निर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने की घोषणा की है। उन्हें अजय चौटाला की जजपा ने समर्थन का ऐलान भी कर दिया है। इससे मुकाबला रोचक हो गया है और इस चुनाव में बड़ा खेल होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 40 विधायक तो कांग्रेस के 31 विधायक हैं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 विधायक हैं। सात निर्दलीय विधायक हैं तो इनेलो का एक विधायक और एक हलोपा का विधायक है। अब तक हरियाणा से राज्‍यसभा की दो सीटों के चुनाव में एक भाजपा और एक कांग्रेस को मिलना तय माना जा रहा था। लेकिन पूर्व कांग्रेसी विनोद शर्मा के बेटे कार्तिक शर्मा के मैदान में आने से कांग्रेस के अजय माकन के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। कार्तिक को भाजपा से समर्थन मिल सकता है। भाजपा के पास अपना उम्‍मीदवार जिताने के बाद भी अतिरिक्‍त वोट बचेंगे। जजपा के साथ निर्दलीय विधायक भी कार्तिक को समर्थन दे सकते हैं। कार्तिक का दावा है कि उनके साथ 27 विधायक हैं।

हरियाणा राज्यसभा चुनाव में जीतने के लिए उम्मीदवार को 31 वोट चाहिए। अगर कांग्रेस के एक उम्मीदवार ने भी क्रास वोटिंग की या तीन विधायक गैर हाजिर हो गए या तीन वोट अवैध हो गए तो कार्तिक की लाटरी खुल सकती है। हालांकि कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी विवेक बंसल का कहना है कि यह कांग्रेस का सौभाग्य है कि अजय माकन जैसा कोई हमारे साथ है। पूरी कांग्रेस पार्टी इस फैसले का समर्थन करती है। भाजपा को जेजेपी के साथ अपने गठबंधन के बारे में चिंतित होना चाहिए।

महाराष्ट्र में भी बड़े खेल के आसार

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल सहित भाजपा के तीन उम्मीदवारों, कांग्रेस की तरफ से इमरान प्रतापगढ़ी और राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए सोमवार को नामांकन दाखिल किया। इससे महाराष्ट्र में छठी सीट के लिए करीबी मुकाबले का मंच तैयार हो गया। शिवसेना ने दो उम्मीदवारों संजय राउत और संजय पंवार को उतारा है। भाजपा अपने बूते दो सीट जीत सकती है। कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा एक-एक सीट अपने बूते जीत सकती है। एमवीए में शामिल तीनों दलों के पास एक अन्य सीट जीतने के बाद भी अतिरिक्त वोट होंगे। शिवसेना अपनी दूसरी सीट जीतने के लिए इन्हीं वोटों पर निर्भर है।

महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए हर उम्मीदवार को 42 वोट पाना जरूरी है। वर्तमान में आघाडी के पास 169 विधायक हैं। शिवसेना के पास 55, एनसीपी के पास 54, कांग्रेस के पास 44, आघाडी में शामिल अन्य छोटे दलों के 8 और 8 निर्दलीय विधायक आघाडी के साथ हैं। छठे उम्मीदवार को जिताने के लिए शिवसेना के पास 13 अपने वोट हैं। अगर उसे एनसीपी के 12, कांग्रेस के 2 तथा आघाडी में शामिल अन्य छोटे दलों के 8 और 8 निर्दलीय विधायकों के वोट मिल जाते हैं, तो आघाडी के कुल अतिरिक्त वोटों का योग 43 होता है।

बीजेपी खेमे के पास 113 विधायक हैं। ऐसे में बीजेपी अपने दो उम्मीदवार आसानी से जिता सकती है। लेकिन अगर बीजेपी तीसरी सीट के लिए लड़ती है तो उसे 13 अतिरिक्त वोट जुटाने होंगे। राज्यसभा का चुनाव खुले मतदान से होता है। इसमें विधायकों के टूटने की संभावना न के बराबर होती है। लेकिन निर्दलीय विधायकों के टूटने का खतरा बना रहता है।

महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमारी राज्यसभा की तीन सीटें थीं, इसलिए हमने तीन उम्मीदवार फिर राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। शिवसेना को अगर लगता है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त न हो, तो वे अपना एक उम्मीदवार वापस ले लें। हमारे सभी उम्मीदवार महाराष्ट्र से हैं, सभी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। इसीलिए, मुझे विश्वास है कि कुछ लोग अपने विवेक का इस्तेमाल करेंगे और हमारे उम्मीदवार को वोट देंगे।