देश की राजनीति में इस हफ्ते सत्ता के इर्द-गिर्द दिलचस्प उठापटक देखने को मिली। तेलंगाना में बीआरएस के भीतर पारिवारिक टकराव बढ़ा, पंजाब के उपचुनाव से केजरीवाल की एंट्री का रास्ता खुला, यूपी में डीजीपी की रेस शुरू हुई, और तमिलनाडु में कमल हासन ने राज्यसभा की सीढ़ी चढ़ी।
टोटे में लड़ाई
कहावत है कि टोटे में लड़ाई होती है। कोई पार्टी सत्ता से बाहर हो जाए तो उसके भीतर बिखराव शुरू हो जाता है। जगनमोहन आंध्र की सत्ता से बाहर हुए तो उनका अपनी बहन से झगड़ा बढ़ गया। अब यही नौबत तेलंगाना में बीआरएस के भीतर दिख रही है। भारत राष्ट्र समिति के सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव हैं। अपने सियासी सफर की शुरुआत राव ने कांग्रेस से की थी। उन्होंने अलग तेलंगाना राज्य बनाने के लिए 2001 में तेलंगाना राष्ट्र समिति बनाई थी। जिसका नाम बाद में भारत राष्ट्र समिति कर दिया। 2023 में राव की पार्टी तेलंगाना में चुनाव हार गई और कांग्रेस सत्ता में आ गई। तभी से राव परिवार की परेशानी बढ़ गई। बेटी के कविता को दिल्ली शराब घोटाले में पिछले साल जेल जाना पड़ा। कविता अभी एमएलसी हैं। वे लोकसभा सदस्य भी रह चुकी हैं। पार्टी पर कब्जे को लेकर उनकी अपने भाई केटीआर से लड़ाई चल रही है। केटीआर बीआरएस के कार्यवाहक अध्यक्ष हैं। नाम लिए बिना कविता अपने भाई पर अपने खिलाफ साजिश करने का आरोप लगा रही हैं। यह लड़ाई कविता के अपने पिता को लिखे गए एक पत्र के सार्वजनिक हो जाने के बाद सड़क पर आ गई है। कविता को लगता है कि उनके पिता ऐसे लोगों से घिर गए हैं जो बीआरएस का विलय भाजपा में कराना चाहते हैं। पार्टी का कविता विरोधी खेमा उन पर कांग्रेस से हमदर्दी रखने का आरोप लगा रहा है।
लुधियाना पर नजर
चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों का उपचुनाव 19 जून को होगा। नतीजा 23 जून को आएगा। इनमें गुजरात की दो सीटें हैं। केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल की एक-एक सीट है। उपचुनाव के नतीजों का इन राज्यों की सरकारों पर कोई असर नहीं होगा। फिर भी नतीजों पर सबकी नजर रहेगी। कारण यह है कि ‘आपरेशन सिंदूर’ के बाद यह पहला मौका होगा लोगों का नजरिया समझने का। फिर पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट का नतीजा तो ज्यादा ही अहम होगा। आम आदमी पार्टी ने अपने राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा को विधानसभा टिकट दिया है। माना जा रहा है कि वे जीत गए तो राज्यसभा से इस्तीफा दे देंगे और खाली होने वाली सीट से अरविंद केजरीवाल संसद में आ जाएंगे, जो अभी किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। केजरीवाल को रोकने के लिए बाकी दलों ने इस सीट पर पूरी ताकत आजमाने की रणनीति बनाई है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का मुद्दा
बिहार चुनाव से ठीक पहले न्यूनमत समर्थन मूल्य (एमएसपी) एक बार फिर से चर्चा में है। केंद्र सरकार ने हाल ही में दावा किया है कि उसके कार्यकाल में एमएसपी के माध्यम से किसानों को बड़ी राहत दी गई है। विपक्ष इस दावे पर सरकार पर हमलावर है और इस दिशा में किसानों पर घात लगा कर किया गया हमला करार दे रहा है। संसद ने भी इस मामले में एक विशेष समिति बनाई थी। इस समिति में कांग्रेस-भाजपा के सांसद शामिल थे। यह समिति भी केंद्र सरकार को एमएसपी के लिए दाम बढ़ाने की सिफारिश कर चुकी है, लेकिन इस समिति की रपट भी ठंडे बस्ते में है। विपक्ष इसे केंद्र सरकार का जुमला बता कर कह रहा कि नए न्यूनतम समर्थन मूल्य के बाद भी देश का अन्नदाता खाली है।
दौड़ में चेहरे
कौन होगा देश के सबसे बड़े सूबे का अगला पुलिस महानिदेशक? यह सवाल आम चर्चा के साथ उत्तर प्रदेश की नौकरशाही के भीतर इस समय बेहद चर्चित बना हुआ है। मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार 31 मई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है। इस नाते चर्चा उन्हें सेवा विस्तार दिए जाने की भी चल रही है। अड़चन यह है कि वे कार्यवाहक डीजीपी हैं। उनकी नियुक्ति पर संघ लोक सेवा आयोग की मुहर नहीं लगी है। मुकुल गोयल के बाद उत्तर प्रदेश सरकार कार्यवाहक डीजीपी से ही काम चला रही है। रही सेवा विस्तार की बात, तो पिछले एक दशक में केवल अरविंद जैन और सुलखान सिंह को ही तीन-तीन महीने का सेवा विस्तार मिल पाया। वैसे भी सेवा विस्तार केंद्र की मंजूरी से ही दिया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक न तो प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार के लिए केंद्र को कोई सिफारिश भेजी है और न ही नए अफसर की नियुक्ति के लिए। जाहिर है कि फिलहाल कार्यवाहक डीजीपी ही बनाया जाएगा। दौड़ में तिलोत्तमा वर्मा, राजीव कृष्ण, बीके मौर्य और एमके बशाल के नाम बताए जा रहे हैं। तिलोत्तमा बनीं तो वे राज्य की पहली महिला पुलिस प्रमुख होंगी। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के लिए महिला पुलिस महानिदेशक सकारात्मक संदेश दे सकता है। इस सूबे में पुलिस के मुखिया के पद पर हमेशा सबकी नजर रही है और यह सवालों में भी आ जाता है।
सितारे की जरूरत पूरी
तमिल फिल्मों के सितारे कमल हासन राज्यसभा आएंगे। डीएमके ने उनके नाम की घोषणा भी कर दी है। तमिलनाडु की 6 सीटों पर चुनाव है। डीएमके को 4 सीटें मिलेंगी। डीएमके ने इस बार अपने पास 3 सीटें रखी हैं। अपने सहयोगी दलों को कोई सीट नहीं दी है। पिछली बार जरूर एक सीट एमडीएमके के वायको को दी थी। कांग्रेस के 17 विधायक हैं। फिर भी उसे एमके स्टालिन ने सीट नहीं दी। कांग्रेस ने हासन को राज्यसभा भेजने के फैसले का समर्थन किया है। कमल हासन की पार्टी एमएनएम का विधानसभा में एक भी विधायक नहीं है। चर्चा थी कि विजयकांत की पत्नी को डीएमके सीट दे सकती है। विजयकांत की पार्टी डीएमडीके भी डीएमके के साथ है। इसलिए डीएमडीके ने कमल हासन को संसद में भेजने पर आपत्ति जताई है। स्टालिन ने हासन को सोच-समझकर चुना है। दरअसल तमिलनाडु में फिल्मी सितारे सियासत को प्रभावित करते हैं। सुपर स्टार रजनीकांत का झुकाव भाजपा की तरफ है। बेशक उन्होंने अपनी पार्टी खत्म कर दी है। थलपति विजय ने अपनी पार्टी बना ली है। कमल हासन से डीएमके गठबंधन की फिल्मी सितारे की जरूरत पूरी हो जाएगी।