उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने शनिवार को एसटीएफ पर हत्या की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की कानून व्यवस्था पर दावा कर रहे हैं। आशीष पटेल का कहना है कि एसटीएफ उनके खिलाफ साजिश कर रही है, और वह प्राविधिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की जांच से डर रहे हैं। इसी बीच, दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा जनता के बीच लोकप्रियता बढ़ाने में जुटी है, जबकि बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, खासकर नीतीश कुमार और पप्पू यादव के बीच बयानबाजी के बाद। शरद पवार के कुनबे में भी एकीकरण के संकेत मिल रहे हैं। नए साल में सरकार पत्रकारों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने की कोशिश में है।

डर की डगर

मैं सरदार पटेल का वंशज हूं। मेरा कोई बाल बांका नहीं कर सकता। यह दावा उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल का है। एक तरफ वे इतनी निर्भीकता दिखा रहे हैं तो दूसरी तरफ आशंका जता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की एसटीएफ उनकी हत्या करा सकती है। वह उनके खिलाफ साजिश कर रही है। योगी आदित्यनाथ दावा करते हैं कि उन्होंने प्रदेश की कानून व्यवस्था दुरुस्त कर दी है पर उन्हीं के मंत्री को जान का जोखिम सता रहा है। अजीब विरोधाभास है। आशीष पटेल अपना दल (सोनेलाल) के नेता हैं और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति हैं। वे उत्तर प्रदेश में प्राविधिक शिक्षा विभाग के मंत्री हैं। उनकी साली यानी अनुप्रिया की छोटी बहन पल्लवी पटेल ने 2022 के विधानसभा चुनाव में केशव मौर्य को हराया था। सिराथू से सपा की विधायक पल्लवी और उनकी मां कृष्णा पटेल अलग पार्टी अपना दल (कमेरावादी) चला रही हैं। पल्लवी ने प्राविधिक शिक्षा विभाग में हुई पदोन्नतियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। आशीष पटेल डर गए हैं कि जांच हुई तो वे फंस न जाएं। लिहाजा धमकी भी दे रहे हैं कि इस्तीफा नहीं देंगे, मुख्यमंत्री चाहें तो उन्हें बर्खास्त कर दें। अपना दल ठहरा भाजपा का सहयोगी दल। चूंकि एसटीएफ जांच कर रही है तो आशीष पटेल उस पर साजिश रचने का आरोप लगा रहे हैं। एसटीएफ की कमान खुद मुख्यमंत्री के पास है।

दिल्ली दा मामला है

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान भर बाकी है। जिन दलों ने अपने उम्मीदवारों के नामों के एलान में बढ़त ली है वो जनता के बीच पीछे चल रहे हैं। दिल्ली की जमीन पर जनता के बीच भारतीय जनता पार्टी सबसे आगे चल रही है। हर विधासनभा क्षेत्र के लिए पार्टी ने तीन-तीन संयोजक तय कर दिए हैं जो घर-घर जाकर सर्वेक्षण कर रहे हैं कि उन्हें अपने क्षेत्र के लिए कौन सा उम्मीदवार पसंद है। यहां तक कि इन संयोजकों के घर के आगे एक पेटी रखी हुई है जहां जनता अपनी पसंद के उम्मीदवारों के नाम डाल सकती है। सच यह भी है कि दूसरे दलों से भाजपा में आए कई वरिष्ठों के नाम के साथ अन्य उम्मीदवारों के नाम टिकट के लिए तय भी हो चुके हैं। पर पार्टी पहले जनता के बीच जड़ जमाना चाह रही है। इस बार दिल्ली का विधानसभा भाजपा के लिए दिल दा मामला जो बन चुका है।

कुनबे में कम हो रही कटुता?

शरद पवार के कुनबे में कटुता कम होने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले दिनों शरद पवार के जन्मदिन पर अजित पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा ने पहुंच कर सबको चौंका दिया था। अब अजित पवार की मां आशा पवार ने नए साल के मौके पर एक मंदिर में पूजा करने के बाद कहा कि उन्होंने ईश्वर से फरियाद की है कि चाचा-भतीजा एक हो जाएं। इसके तुरंत बाद अजित की पार्टी के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शरद और अजित एक होते हैं तो इससे अच्छी कोई बात नहीं हो सकती। शरद पवार का दर्जा हमारे लिए भगवान का है। यह बात अलग है कि शरद पवार अब भी भतीजे को बड़ा नेता मानने को तैयार नहीं। फिर भी एकीकरण के प्रयास तो अंदरखाने चल ही रहे हैं।

बिहार की बात

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होंगे। इसलिए सूबे में सियासी हलचल तेज हो गई है। अटकलों, कानाफूसी और कयासों का सिलसिला चालू हो गया है। एक तरफ अटकलें लगाई जा रही हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पलटी मार सकते हैं तो दूसरी तरफ सूबे के दो नेता एक दूसरे पर शब्द बाण छोड़ रहे हैं। ये हैं-सांसद पप्पू यादव और चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर। जिन्होंने पिछले साल दो अक्तूबर को अपनी अलग जन सुराज पार्टी बनाई थी। नीतीश कुमार की पार्टी बिहार ही नहीं केंद्र में भी भाजपा की सहयोगी है। नीतीश को डर है कि विधानसभा चुनाव के बाद समीकरण देख भाजपा उनकी जगह अपना मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश करेगी। लिहाजा वे चाहते हैं कि उन्हें चुनाव से पहले ही गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए। लालू यादव ने शिगूफा छोड़कर नीतीश को सुर्खियों में ला दिया। उन्होंने बयान दे दिया कि उनकी पार्टी के दरवाजे नीतीश के लिए खुले हैं। नीतीश पलटी मारने की खबरों पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं। रही बात पीके की तो वे बिहार के बेरोजगारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। मधेपुरा के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी यही लड़ाई लड़ रहे हैं। पप्पू ने बयान दे दिया कि पीके के पास दौलत है और वे उसे लुटाकर राजनीति कर रहे हैं। इससे तिलमिलाए पीके ने पप्पू यादव पर जमकर पलटवार किया है। पीके का दावा है कि जन सुराज पार्टी बिहार का कायाकल्प कर देगी।

खबरनवीसों को खुराक

अपनी तीसरी पारी में राजग सरकार प्रेस कांफ्रेंस और पत्रकारों को लेकर काफी सहज हो चुकी है। कुछ केंद्रीय मंत्री पत्रकारों से दोस्ताना व्यवहार में निपुण हो चुके हैं। नए साल में पत्रकारों के साथ सहज होेने की एक और कवायद शुरू हुई। नए साल के पहले दिन केंद्र सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक हुई। बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में मंत्री ने विस्तार से बताया और पत्रकारों के सवालों के जवाब भी सहजता से दिए। कैमरे बंद होने के बाद मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल में एक और निर्णय लिया गया है, आप सब कहें तो बताऊं। पत्रकार इस रुके हुए फैसले के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक दिखे। मंत्री जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि अब से जब भी मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देने के लिए संवाददाता सम्मेलन होगा तो पत्रकारों के लिए अलग-अलग राज्यों का भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इसकी शुरुआत बिहार के प्रसिद्ध और पारंपरिक भोजन लिट्टी चोखे से होगी। संवाददाता सम्मेलन खत्म होने के बाद पत्रकारों ने दिल्ली की सर्दी में गर्म-गर्म लिट्टी चोखे का आनंद लिया। साथ ही कयास लगे, अगला राज्य कौन सा होगा?

संकलन : मृणाल वल्लरी