Rajnath Singh on Constitution: संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा में संविधान पर दो दिवसीय चर्चा आज शुरू हो गई, जिसमें पहला संबोधन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिया। उन्होंने देश के संविधान को सबसे मजबूत और प्रगतिशील बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश का संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है।
BJP के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि हम हमेशा संविधान के फाउंडिंग फादर्स की बात करते हैं लेकिन उनके अलावा फाउंडिंग मदर्स का भी अहम योगदान है। उन्होंने भी संविधान को बनाने में अपना योगदान दिया था।
संविधान सभा की महिला सदस्यों का जिक्र किया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संविधान सभा में शामिल 15 महिला सदस्यों का जिक्र किया और उन्हें संविधान की फाउंडिंग मदर्स बताया। उन्होंन इस दौरान उन्होंने इन सदस्यों का नाम भी लिया।
संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों की बात करें तो इनमें अम्मू स्वामीनाथन, विजय लक्ष्मी पंडित, सुचेता कृपलानी, सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, लीला रॉय, दुर्गाबाई देशमुख, मालती चौधरी, रेणुका रे, एनी मास्कारेन, पूर्णिमा बनर्जी, कमला चौधरी, हंसा जिवराज मेहता, बेगम एजाज रसूल और दक्षिणानी वेलायुद्ध का नाम शामिल है।
जब राजनाथ सिंह को राहुल ने दिया गुलाब का फूल
किसने किया संविधान का अपमान
इसके अलावा संविधान को लेकर चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि आज संविधान की रक्षा की बात की जा रही है, ये समझने की जरूरत है कि किसने संविधान का सम्मान किया है और किसने अपमान किया है। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एच आर खन्ना की आत्मकथा, नाइदर रोजेज नॉर थार्न किताब से एक पंक्ति उद्त करना चाहता हूं। मैं अपनी छोटी बहन संतोष को कहा, मैंने एक जजमेंट तैयार किया है जिसके कारण मैं देश का चीफ जस्टिस नहीं बन पाऊंगा।
संविधान बदलने को लेकर कांग्रेस को घेरा
राजनाथ सिंह ने कहा कि आजाद भारत का इतिहास देख लीजिए। कांग्रेस ने न केवल संविधान संशोधन किया है बल्कि दुर्भावना के साथ-साथ धीरे-धीरे संविधान को बदलने का प्रयास किया है। पंडित जवाहर लाल नेहरू जब पीएम थे तो लगभग 17 बार संविधान में बदलाव किया गया। इंदिरा गांधी के समय लगभग 28 बार संविधान में बदलाव किए गए। राजीव गांधी के समय लगभग 10 बार संविधान में बदलाव किया गया। मनमोहन सिंह के समय लगभग 7 बार संविधान में बदलाव किया गया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकारों द्वारा किए गए अधिकांश संविधानिक संशोधन या तो विरोधियों और आलोचकों को चुप कराने के लिए किए गए या तो गलत नीतियों को लागू करने के लिए किए गए। आप पहले संविधान संशोधन को ही ले लीजिए, साल 1950 में प्रेस में कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों की आलोचना हो रही थी। ऐसे में तब की कांग्रेस की सरकार ने आरएसएस के साप्ताहिक प्रकाशन ऑर्गेनाइजर और मद्रास से निकलने वाली पत्रिका क्रॉस रोड को प्रतिबंधित कर दिया था।