केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के साथ वार्ता की संभावना को खारिज कर दिया है। जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए गृह मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अलगाववादियों से बातचीत करने का हमारे पास कोई प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने कहा- हम किसी की भी बात सुनने और उससे बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का विरोध और बहिष्कार किया जाना चाहिए। अमरनाथ गुफा में पूजा अर्चना करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे सिंह ने कश्मीर के सुरक्षा हालात के बारे में कहा कि मुझे विश्वास है कि यहां हालात बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। यहां हालात सुधारने के लिए हमें जम्मू के लोगों और कश्मीर के लोगों के सहयोग की जरूरत है।
गृह मंत्री ने कहा कि हालात अनुकूल होंते ही जम्मू-कश्मीर से विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (अफस्पा) हटा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि हालात ऐसे होने चाहिए, और मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि देश भर में कहीं भी अफस्पा की जरूरत नहीं हो। जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल भाजपा की सहयोगी पार्टी पीडीपी ने राज्य से अफस्पा को हटाने का विरोध करने पर बुधवार को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह पर हमला किया था और इसे ‘आपत्तिजनक, अस्वीकार्य और अक्षम्य लहजे वाला’ बयान करार दिया था।
लोकसभा में जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले जितेंद्र सिंह ने राज्य से अफस्पा की आंशिक वापसी का विरोध किया था और रेखांकित किया था कि इस संबंध में अंतिम निर्णय राजनीतिज्ञों को नहीं बल्कि सुरक्षा एजंसियों को करना है।
दो दिन के कश्मीर दौरे पर आए राजनाथ सिंह ने कहा कि विभिन्न पक्षों को सहयोग करना होगा ताकि अधिनियम की वापसी सुनिश्चित हो सके। अफस्पा निरस्त करना साझा न्यूनतम कार्यक्रम ‘एजंडा आॅफ अलायंस’ का एक हिस्सा है जिसके आधार पर पीडीपी ने भाजपा के साथ मिल कर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाई थी।
सिंह से जब पूछा गया कि विभिन्न मुद्दों पर पीडीपी और भाजपा में मतभेद के मद्देनजर क्या उनकी गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी तो उन्होंने कहा कि इस पर यकीन नहीं करने का कोई कारण नहीं है।
सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार ईमानदारी से पाकिस्तान समेत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ दोस्ताना संबंध चाहती है लेकिन पाकिस्तान को भी अपने रुख पर विचार करना होगा।
उन्होंने कहा कि हमने शपथ ग्रहण समारोह (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के) के दिन से ही हमने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया था। अगर हमारी मंशा संबंधों को बेहतर बनाने की नहीं होती तो शायद हमारे प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित नहीं किया होगा।
गृह मंत्री जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा से भी भेंट की और राज्य के सुरक्षा हालात पर चर्चा की।
