कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष राजेंद्र पाल गौतम ने बुधवार को कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कांशीराम की ‘वैचारिक विरासत’ को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि मायावती बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक के विचारों को त्याग चुकी हैं। उन्होंने यह सवाल भी किया कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती दलित समुदाय के मुद्दों पर मुखर क्यों नहीं हैं और भाजपा के खिलाफ क्यों नहीं बोलतीं?

गौतम को इसी साल जून महीने में कांग्रेस ने अपने एससी विभाग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। वह पहले आम आदमी पार्टी में रह चुके हैं। उन्होंने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की ‘22 प्रतिज्ञा’ से जुड़े विवाद के बाद वर्ष 2022 में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार से इस्तीफा दे दिया था और बाद में आप से भी नाता तोड़ लिया था।

उन्होंने पीटीआई से बातचीत में कहा, “सामाजिक न्याय को लेकर राहुल गांधी का अभियान कांग्रेस के भीतर बहुत बड़ा बदलाव है…वैसे, कांग्रेस ने अतीत में कई ऐसे कदम उठाए जो बहुजन समाज के हित में परिवर्तनकारी साबित हुए। बाबासाहेब आंबेडकर संविधान के माध्यम से जो देना चाहते थे, उनका क्रियान्वयन कांग्रेस ने किया।”

यह भी पढ़ें: BJP सांसद ने क्यों मांगा कांशीराम के लिए भारत रत्न? इंटरव्यू में बताई वजह, न्यू दलित पॉलिटिक्स पर भी की बात

गौतम के अनुसार, राहुल गांधी जाति जनगणना के माध्यम से बहुजन समाज के उन लोगों को उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं, जिन्हें आजादी के 75 साल बाद भी उनका वाजिब अधिकार नहीं मिल सका है। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने बसपा जैसे दल के बजाय कांग्रेस को क्यों चुना, गौतम ने कहा, “बहन मायावती कांशीराम साहब के विचारों को छोड़ चुकी हैं। वह जनता से नहीं मिलतीं। बसपा में कोई संगठनात्मक ढांचा नहीं बचा है।”

‘मायावती समाज के लिए बोलते और लड़ते नहीं दिखतींं’

उन्होंने दावा किया, “मैं बहन जी का सम्मान करता हूं और बतौर मुख्यमंत्री उनके कई कार्य उल्लेखनीय हैं, लेकिन बाद की उनकी भूमिका से निराशा होती हैं। उन्होंने कांशीराम साहब द्वारा तैयार किए गए नेतृत्व को खत्म कर दिया। वह समाज के लिए बोलते और लड़ते नहीं दिखतीं। वह कांग्रेस के खिलाफ बोलती हैं, लेकिन भाजपा के खिलाफ नहीं बोलतीं।”

गौतम ने कहा, “दूसरी तरफ, सामाजिक न्याय के मुद्दे पर राहुल गांधी लड़ रहे हैं, दलितों पर अत्याचार के खिलाफ राहुल गांधी लड़ रहे हैं। वह मजदूर गरीब-किसान के लिए लड़ रहे हैं। ऐसे में क्या हम उनसे नहीं जुड़ें क्योंकि वह हमारे समाज के नहीं हैं और वहां सिर्फ इसलिए जुड़ जाएं कि वह (मायावती) हमारे से समाज से हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी, कांशीराम की ‘वैचारिक विरासत’ को आगे बढ़ा रहे हैं। गौतम ने कहा, “सामाजिक न्याय की लड़ाई अलग अलग समय पर अलग अलग लोग लड़े। आज उस लड़ाई को राहुल गांधी के अलावा कोई दूसरा नेता नहीं लड़ रहा है।” यह पूछे जाने पर कि क्या कभी कांग्रेस से कोई दलित प्रधानमंत्री बन सकता है, तो उन्होंने कहा, “ऐसा क्यों नहीं हो सकता? कल को किसने देखा है ?” उन्होंने उम्मीद जताई कि बिहार विधानसभा चुनाव में ‘महागठबंधन’ को बहुजन समाज का पूरा समर्थन मिलेगा। 

यह भी पढ़ें: कांशीराम से लेकर जॉर्ज फर्नांडिस तक, इन नेताओं ने दूसरे राज्यों की सियासत में बजाया डंका और हमेशा के लिए हो गए ‘महान’