राजस्थान के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ Congress नेता अशोक गहलोत भले ही अब CAA, NRC और NPR के खिलाफ हों, पर कभी तत्कालीन UPA सरकार में गृह मंत्री पी.चिदंबरम को पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों के समर्थन पर पत्र लिखा था। उन्होंने तब अपनी चिट्ठी के जरिए पाकिस्तान के सताए गए हिंदुओं और सिखों (शरणार्थियों) को भारत की नागरिकता देने को लेकर मांग उठाई थी।

पत्रकारों ने इसी मसले पर गुरुवार को उनसे सवाल दागे, जिस पर उन्होंने चुप्पी साध ली। स्पष्ट सवाल किए जाने के बाद भी सीएम बात को इधर-उधर घुमाने लगे।

‘Time Now’ के पत्रकार ने उनसे एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार यह सवाल पूछा था- सर, आपने गृह मंत्री को पहले एक पत्र लिखा था? पर गहलोत इस पर कुछ नहीं बोले। वह अन्य मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब देने लगे। देखें, पत्रकार ने जब गहलोत से इस सवाल दागे, तब उन्होंने क्या कुछ कहाः

अंग्रेजी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, गहलोत ने मंत्रालय को इस बाबत तीन बार पत्र लिख चुके हैं। पहला 2004 में। दूसरा 2009 में, जबकि एक बार उन्होंने और भी चिट्ठी लिखी है। हालांकि, अब इस मामले पर उन्होंने चुप्पी साध ली है। पत्रकार ने सवाल पूछा तो उन्होंने उस पर जवाब ही नहीं दिया।

‘सरकार किसानों के हितों के लिए कृत संकल्पित’: सीएम गहलोत ने गुरुवार को यह भी कहा कि राज्य सरकार किसानों के हितों के लिए कृत संकल्पित है और सरकार ने किसानों को ऋणमाफी, ब्याज मुक्त फसली ऋण देने जैसे ठोस कदम उठाते हुए किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा है।डूंगरपुर जिले के सीमलवाड़ा में आयोजित किसान सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि फसल के लिए खाद, बिजली, समर्थन मूल्य पर खरीद की व्यवस्था के साथ-साथ आदिवासी किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए सोलर पैनल उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आमजन के स्वास्थ्य को लेकर भी संवेदनशील है और इस दिशा में कार्य करते हुए निरोगी राजस्थान अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा कि आमजन को चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल, बिजली, सड़कों की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।

उन्होंने इसके साथ ही कहा कि आदिवासी इलाकों में विकास सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, ”आदिवासी क्षेत्रों में विकास कार्य हमारी प्राथमिकता में है। हमने आदिवासियों के लिए विश्वविद्यालय खोला … पिछली बार आपने मुझे मुख्यमंत्री बनाया तो बिना मांग के हमने उदयपुर में आदिवासी विश्वविद्यालय खोला ताकि हमारे आदिवासियों के बच्चे उसमे पढ़ सके और उनको लाभ मिल सके।”