केंद्र सरकार ने हाल ही में दूसरे राज्यों में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को लाने के लिए बसों को चलाने की मंजूरी दे दी। हालांकि, इसी बीच कुछ राज्यों ने सरकार से स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग रख दी है, ताकि बड़ी संख्या में फंसे लोगों को वापस लाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक, रेल मंत्रालय ने भी इस सिलसिले में एक योजना तैयार कर ली है, जिसके तहत हर दिन 400 स्पेशल ट्रेनें चलाई जा सकती हैं। इन्हें जरूरत के मुताबिक प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 1000 तक बढ़ाया भी जा सकता है।
अभी तक रेल सेवा शुरू करने के बारे में सरकार की तरफ से कोई साफ इशारा नहीं आया है। हालांकि, रेलवे ने इस पर आंतरिक अभ्यास शुरू कर दिया है और अपनी योजना सरकार के उच्च स्तरों तक पहुंचा दी है। योजना के मुताबिक, हर नॉन-एसी ट्रेन एक सफर में 1000 यात्रियों को ले जाएगी, जो कि ट्रेन की कुल क्षमता का आधा होगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का ठीक ढंग से पाल हो सके।
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सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया- “अगर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को माना जाए, तो हर बस 25 लोगों को ही बिठाया जा सकता है। रेलवे के विस्तृत प्रोटोकॉल में एक पैरा में कहा गया है कि ट्रेन के रूट में जो भी राज्य और स्टेशन आएंगे, वहां लोगों के मूवमेंट्स और स्क्रीनिंग की ठीक व्यवस्था मुहैया होनी चाहिए।”
सूत्रों का कहना है कि ट्रेन की जगह बसों से प्रवासियों को लाने-ले जाने का फैसला कर केंद्र ने आवाजाही करने वाले लोगों की संख्या पर रोक ही लगाई है। एक अधिकारी ने कहा कि यह किसी जगह पर फंसे और अपने घर तक की यात्रा करने के लिए आतुर लोगों के लिए एक विकल्प की तरह है। लंबी दूरी तक जाने के लिए यह व्यवहार्य नहीं है। सरकार इस तरह ट्रेन चलाने से पहले स्थितियों को समझना चाहती है।
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गौरतलब है कि अब तक राजस्थान, झारखंड, केरल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए ट्रेन चलाने की मांग उठा चुके हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि भारत सरकार को रेलवे को चलाना चाहिए, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही बिना ट्रेनों के मुमकिन नहीं होगी। इसके अलावा झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से कहा था कि उन्हें छात्रों और प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए विशेष ट्रेनों की जरूरत होगी। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और केरल के सीएम पिनरई विजयन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी से ऐसी मांगें रख चुके हैं।