कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में सोमवार को ट्रैक्टर चलाकर संसद भवन परिसर के गेट तक पहुंचे जिसके बाद पुलिस ने पार्टी के कुछ नेताओं को हिरासत में ले लिया। राहुल गांधी जो ट्रैक्टर चला रहे थे उस पर उनके साथ राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा, प्रताप सिंह बाजवा और पार्टी के कुछ अन्य सांसद बैठे थे।
इस ट्रैक्टर के आगे एक बैनर भी लगा था जिस पर ‘‘किसान विरोधी तीनों काले कृषि कानून वापस लो – वापस लो’’ लिखा हुआ था। तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति समर्थन जताने वाले राहुल गांधी ने कहा, ‘‘दो-तीन बड़े उद्योगपतियों के लिए ये कानून लाए गए हैं। यह बात पूरा देश जानता है। इन कानूनों को वापस लेना पड़ेगा।’’
कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी के साथ मौजूद पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, पार्टी के राष्ट्रीय सचिव प्रणव झा, भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. और कई अन्य नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। राहुल गांधी ऐसे समय पर कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर चलाकर संसद भवन परिसर के नजदीक पहुंचे, जब किसान जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को ही घोषणा की थी कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के आठ महीने पूरे होने के अवसर पर महिलाएं सोमवार को जंतर-मंतर पर ‘ किसान संसद’ का आयोजन करेंगी। उल्लेखनीय है कि केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। करीब 40 किसान संगठनों के संयुक्त मंच एसकेएम ने एक बयान जारी कर कहा था कि महिला किसानों का कई काफिला दिल्ली की सीमा पर ‘महिला किसान संसद’ में शामिल होने के लिए पहुंच रहा है।
एसकेएम की तरफ से रविवार को कहा गया था कि कल जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन पूरी तरह से महिलाओं द्वारा किया जाएगा। महिला किसान संसद भारतीय कृषि में महिलाओं की भूमिका को प्रतिबिंबित करेगा और साथ ही उनकी इस आंदोलन में अहम भूमिका को भी रेखांकित करेगा। महिला किसानों का काफिला विभिन्न जिलों से महिला किसान संसद के लिए मोर्चों पर पहुंच रहा है।’’
संयुक्त किसान मोर्चा संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने के बाद 22 जुलाई से ही जंतर-मंतर पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। एसकेएम ने दावा किया कि गत आठ महीने से जारी आंदोलन में विभिन्न राज्यों के लाखों किसान शामिल हो चुके हैं।