कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में राहुल गांधी ने खुलकर पार्टी में सक्रिय जी-23 पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने कहा है कि लोग चाहते हैं कि कांग्रेस उनके अधिकारों के लिए लड़े ना कि आपस में लड़े।
पीटीआई के अनुसार राहुल गांधी का कहना है कि देश के लोग चाहते हैं कि कांग्रेस उठे और अपने अधिकारों के लिए लड़े और लोकतंत्र को बचाएं, न कि आपस में लड़ें। राहुल के इस बयान को कांग्रेस के उन विद्रोही गुटों को लेकर देखा जा रहे हैं, जिसमें कपिल सिब्बल जैसे बड़े कांग्रेस के नेता शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने यह टिप्पणी की है। एक सूत्र ने बताया कि राहुल गांधी ने कहा कि यह मायने नहीं रखता कि कौन किस पद पर है, बल्कि लोग चाहते हैं कि कांग्रेस एकजुट होकर लोकतंत्र और संविधान को बचाने, वंचित वर्गों के अधिकार की लड़ाई लड़े।
Congress leader Rahul Gandhi says people of country want party to get up and fight for their rights and save democracy and not fight among themselves
— Press Trust of India (@PTI_News) October 16, 2021
मीटिंग में राहुल गांधी ने चरणजीत सिंह चन्नी के पंजाब का मुख्यमंत्री बनाने की कहानी भी सुनाई। सूत्रों के जब कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बारे में चन्नी को फोन पर जानकारी दी, तो वह भावुक हो गए थे। बाद में चन्नी सीडब्ल्यूसी की बैठक में भावुक हो गए और कहा कि अनुसूचित जाति समुदाय के एक व्यक्ति को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सिर्फ कांग्रेस और गांधी परिवार ही दे सकता है।
अभी तक जी-23 पर चुप रहने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बैठक में साफ और कड़े संदेश दिए। सोनिया गांधी ने स्पष्ट शब्दों में असंतुष्ट नेताओं को कहा कि वह पार्टी की पूर्णकालिक अध्यक्ष हैं। गांधी ने कहा, ‘मुझसे मन की बात करने के लिए मीडिया का सहारा लेने की जरूरत नहीं हैं।’ उन्होंने कहा कि पार्टी का पुनरुद्धार होना चाहिए, लेकिन इसके लिए अनुशासन और स्वयं पर नियंत्रण आवश्यक है।
इससे पहले एक टीवी कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि पार्टी में आपस में संवाद की कमी है। इसकी वजह से पार्टी में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि 2019 से उनकी टॉप लीडरशिप से कोई बातचीत नहीं हुई। यह बहुत ही खराब स्थिति है।
बता दें कि जी-23 समूह सामूहिक रूप से सोनिया गांधी को एक पत्र भी लिख चुका है। इसमें कपिल सिब्बल ही अगुआ था। पत्र पर साइन करने वालों में गुलाम नबी आजाद, शशि थरूर, मनीष तिवारी समेत कई वरिष्ठ नेताओं का नाम शामिल था। तब सिब्बल ने कहा था कि जिन 23 नेताओं ने कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी को पत्र लिखा है, उन्हें विद्रोही नहीं बल्कि कांग्रेस की लीगेसी के रक्षक के तौर पर देखा जाना चाहिए। पत्र में भले ही 23 नेताओं के दस्तखत हों, लेकिन पार्टी में ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो उनकी बातों से इत्तेफाक रखते हैं।