Bihar Electoral Rolls: कांग्रेस ने बिहार की मतदाता सूची में विसंगतियों का दावा फिर से किया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बोधगया के निदानी गांव (Nidani Village) में 947 मतदाताओं के नाम एक ही मकान संख्या के अंतर्गत दर्ज हैं। इस पर स्थानीय अधिकारियों और राज्य के मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने स्पष्टीकरण दिया है कि मकान संख्या ‘काल्पनिक (Notional)’ है, क्योंकि वहां के घरों में नंबर नहीं हैं।

एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस ने इसे ‘चुनाव आयोग का चमत्कार’ बताते हुए कहा, “आधिकारिक मतदाता सूची में 947 मतदाता एक ही घर (मकान नंबर 6) में रहते हैं। हकीकत? निडानी में सैकड़ों घर और परिवार हैं, लेकिन सूची में पूरे गांव को एक काल्पनिक घर में ठूंस दिया गया है। यह चुनाव आयोग की वोट चोरी है।’

पार्टी ने बूथ लेवल ऑफिसर द्वारा घर-घर जाकर किए गए सत्यापन पर सवाल उठाते हुए पूछा कि असली मकान नंबर मतदाता सूची से क्यों हटा दिए गए और इससे किसे फायदा होगा। पार्टी ने दावा किया कि यह कोई साधारण गलती नहीं है, बल्कि पारदर्शिता के नाम पर एक मज़ाक है। जब मकान नंबर मिटा दिए जाते हैं, तो नकली मतदाताओं, डुप्लीकेट और छद्म पहचानों को छिपाना आसान हो जाता है।

पार्टी ने दावा किया कि अगर एक छोटे से गांव के 947 मतदाताओं को एक ही पते पर ‘Dumped’ किया जा सकता है, तो सोचिए बिहार और पूरे भारत में कितनी बड़ी अनियमितताएं होंगी। जैसा कि राहुल गांधी जी लगातार कह रहे हैं – ‘लोकतंत्र की चोरी हो रही है। निदानी इसका जीता जागता सबूत है।

कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से भी जवाब मांगा। कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस पोस्ट को रीट्वीट करते हुए टिप्पणी की, “चुनाव आयोग का कमाल देखिए, एक घर में पूरा गांव बस गया।”

गांधी के ट्वीट के जवाब में, गया ज़िला प्रशासन ने ग्रामीणों के चार वीडियो क्लिप एक्स पर साझा किए। पोस्ट में लिखा है, “कई गाँवों में मकान संख्या आवंटित नहीं है, जिसके कारण मतदाता सूची में प्रतीकात्मक मकान संख्याएँ दी गई हैं। जिन मतदाताओं का ज़िक्र किया गया है, वे सभी गाँव में मौजूद हैं और असली मतदाता हैं। निडानी गाँव के बूथ संख्या 161 के मतदाता स्वयं स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं।”

एक वीडियो में एक निवासी कह रहा है, “गांव निडानी ((Nidani Village), बूथ संख्या 161, यहां बदनामी की जा रही है कि 900 वोट एक ही घर में हैं, यह पूरी तरह से गलत है। हम चुनाव आयोग द्वारा किए गए सर्वेक्षण से संतुष्ट हैं… और जहां तक मकान संख्या की बात है, 161 में कोई मकान संख्या नहीं है, हम गांव में रहते हैं, गांव में मकान संख्याएं होती ही नहीं।”

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एक अन्य क्लिप में एक महिला कह रही है कि मेरा नाम रिंकी कुमारी है… मैं पहले भी वोट देती रही हूं और अब भी दे रही हूं। गांव में मकान नंबर नहीं हैं; मेरा नाम अभी भी मतदाता सूची में है।

बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने कहा कि काल्पनिक मकान संख्या एक काल्पनिक (प्रतीकात्मक) मकान संख्या होती है जो तब दी जाती है जब किसी मतदाता के निवास का वास्तविक मकान संख्या उपलब्ध नहीं होता है। कई गांवों, मलिन बस्तियों या अस्थायी बस्तियों में, घरों को स्थायी मकान संख्याएं नहीं दी जाती हैं। ऐसे मामलों में, बीएलओ स्वयं उस क्षेत्र का दौरा करते हैं और प्रत्येक घर को एक क्रम संख्या (जैसे 1, 2, 3…) प्रदान करते हैं। यह संख्या केवल सूची बनाने में सुविधा और मतदाताओं को उचित क्रम में दर्ज करने के लिए होती है। इसका उपयोग मतदाता पहचान और मतदाता सूची को व्यवस्थित रूप से तैयार करने के लिए किया जाता है।

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