मशहूर शायर राहत इंदौरी का इंतकाल हो गया है। वह 70 साल के थे। दिल का दौरा पड़ने की वजह से इंदौर के एक अस्पताल में उन्होंने मंगलवार की शाम लगभग 5 बजे आखिरी सांस ली। मंगलवार (11 अगस्त) को ही रात में करीब 10.30 बजे उन्हें इंदौर में सुपुर्दे-खाक कर दिया गया। वायरस संक्रमण की चपेट में आने के बाद से वो इंदौर के श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में इलाजरत थे।
राहत इंदौरी ने शायरी के साथ-साथ फिल्म जगत के लिए गाने भी लिखे। राहत की कलम से निकले ये गीत लोगों ने खूब गुनगुनाए। फिल्म इश्क, तमन्ना, जुर्म और मुन्ना भाई एमबीबीएस जैसी फिल्मों के लिए राहत इंदौरी ने छन्न छन्न, तुमसा कोई प्यारा, मेरी चाहतों का समंदर तो देखो, नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम जैसे गाने लिखे जो काफी लोकप्रिय हुए।
साइनबोर्ड पेंटर से करियर की शुरुआत करने वाले राहत इंदौरी उर्दू के प्रोफेसर भी रहे। बाद में उन्होंने शेरो-शायरी में हाथ आजमाया और काफी सफल रहे। उनकी शायरी के बढ़ते प्रभाव ने उन्हें बॉलीवुड तक खींच लाया। उन्होंने एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्मी गाने लिखे हैं। फिल्म खुद्दार का गीत तुमसे कोई प्यारा, कोई मासूम नहीं है, काफी लोकप्रिय हुआ था।
रविवार (9 अगस्त) की रात खांसी, बुखार और घबराहट होने पर राहत इंदौरी को सीएचएल अस्पताल लाया गया था। जांच में उन्हें निमोनिया से ग्रस्त पाया गया था, तब डॉक्टरों ने भर्ती होने की सलाह दी थी। बाद में उन्हें कोविड हॉस्पिटल अरबिंदो में भर्ती किया गया। देर रात कोरोना की पुष्टि हुई। अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी के मुताबिक, जब इंदौरी अस्पताल में भर्ती हुए थे तब शुगर बढ़ी हुई थी। हालांकि, मंगलवार सुबह तक सेहत में सुधार होने लगा था लेकिन अचानक दोपहर में उन्हें हार्ट अटैक आया। सीपीआर देने पर कुछ सुधार हुआ। दो घंटे बाद दूसरा अटैक आ गया और उन्हें बचाया नहीं जा सका।
बेटे सतलज ने राहत इंदौरी साहब का आखिरी शेर मीडिया से साझा किया है। वो इस प्रकार है-
नए सफ़र का जो ऐलान भी नहीं होता,
तो ज़िंदा रहने का अरमान भी नहीं होता/
तमाम फूल वही लोग तोड़ लेते हैं,
जिनके कमरों में गुलदान भी नहीं होता/
ख़ामोशी ओढ़ के सोई हैं मस्ज़िदें सारी,
किसी की मौत का ऐलान भी नहीं होता/
वबा ने काश हमें भी बुला लिया होता
तो हम पर मौत का अहसान भी नहीं होता…
कभी साइन बोर्ड पेंटर थे राहत इंदौरी, हालात से लड़ पाया शायरी में मुकाम; अब रुखसत पर गम में डूबे फैंस
पिछले साल जब साहित्य आजतक के मंच पर राहत इंदौरी की जीवनी का लोकार्पण हो रहा था तो उन्होंने एक किस्सा साझा किया था। उन्होंने कहा, ‘एक दिन एक साहब ने उन्हें कहा कि राहत इंदौरी एक ‘जिहादी’ है। यह सुनकर वे काफी परेशान हो गए थे और पूरी रात करवटें बदलते रहे और सोचते रहे कि उन्हें ऐसा क्यों कहा गया।’ उन्होंने कहा कि ‘मैं सारी रात बिस्तर पर अपना जायज़ा लेता रहा। रुआ-रुआ नापता रहा कि मैं कहां से जिहादी हूं? सुबह तक उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। तभी उन्हें अज़ान सुनाई दी। उन्होंने उस तरफ इशारा किया और कहा तू ही बता दे क्या हूं मैं जिहादी?। पता चला जिहादी तो नहीं हूं लेकिन कुछ अलग जरूर हूँ’।
साल 1994 में गोविंदा और करिश्मा कपूर स्टारर फिल्म खुद्दार रिलीज हुई थी। इसी फिल्म में राहत इंदौरी ने गाना लिखा था- तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है..। गोविंदा और करिश्मा पर फिल्माया ये गाना काफी लोकप्रिया हुआ था। गीत राहत इंदौरी ने लिखे थे।
राहत इंदौरी ने बॉलीवुड के दर्जनों फिल्मों के लिए चर्चित गीत लिखे थे। इसमें घातक फिल्म की कोई जाए तो ले आए, इश्क फिल्म की नींद चुराई मेरी तुमने वो सनम और मुन्नाभाई एमबीबीएस के एम बोले तो मुन्ना भाई एमबीबीएस जैसे लोकप्रिय गीत शामिल हैं।
राहत इंदौरी (राहत कुरैशी) ने दो शादियां की थी। पहली शादी 27 मई 1986 को सीमा रहत से हुई थी। इनसे एक बेटी शिबिल और 2 बेटे जिनका नाम फैज़ल और सतलज राहत हुए। इसके बाद राहत इंदौरी ने साल 1988 में दूसरी शादी अंजुम रहबर से की । अंजुम से उनको एक पुत्र हुआ, कुछ सालों के बाद इन दोनों में तलाक हो गया था।
इंदौर के डीएम मनीष सिंह ने बताया कि "कोविड-19 से संक्रमित इंदौरी का अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में इलाज के दौरान निधन हो गया।" उन्होंने बताया कि इंदौरी हृदय रोग, किडनी रोग और मधुमेह सरीखी पुरानी बीमारियों से पहले से ही पीड़ित थे।
राहत इंदौरी की पत्नी सीमा राहत ने बताया कि वो शायरी के साथ-साथ खाना भी पहुत अच्छा पकाते थे। बतौर सीमा राहत इंदौरी साहब अकसर किचेन चले जाया करते थे और कुछ बनाया करते थे। उन्हें गोश्त बनाने का बहुत शौक था। सीमा ने नम आंखों से उन्हें याद करते हुए कहा कि उनके साथ जिंदगी में कई सफर किए। सभा सफर यादगार रहा। पांच बार उमराह कर चुकी हूं। उन्होंने कहा कि शायर की बीवी होना फख्ऱ की बात है।
राहत इंदौरी संजीदा शेर के साथ-साथ हंसी मजाक भी खूब करते थे। एक बार कपिल शर्मा शो में कुमार विश्वास के साथ राहत इंदौरी ने भी शिरकत की थी। कुमार विश्वास इस दौरान एक के बाद एक लतीफे सुना रहे थे जिसके बाद राहत ने एक शेर सुनाया और खूब तालियां बजी। इस पर कुमार विश्वास से राहत इंदौरी बोले तुम्हारे 20 लतीफों पर मेरा एक शेर भारी है।
सोशल मीडिया में एक बेहद पुराना वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें राहत इंदौरी दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घुटनों के ऑपरेशन पर मजाक उड़ाते हुए शायरी कर रहे हैं। इस वीडियो को शेयर करते हुए कई सोशल मीडिया यूजर्स दिवंगत शायर को ट्रोल कर रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर....
राहत इंदौरी ने शायरी के साथ-साथ फिल्म जगत के लिए गाने भी लिखे। राहत की कलम से निकले ये गीत लोगों ने खूब गुनगुनाए। फिल्म इश्क, तमन्ना, जुर्म और मुन्ना भाई एमबीबीएस जैसी फिल्मों के लिए राहत इंदौरी ने छन्न छन्न, तुमसा कोई प्यारा, मेरी चाहतों का समंदर तो देखो, नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम जैसे गाने लिखे जो काफी लोकप्रिय हुए।
राहत इंदौरी ने इश्क और इंकलाब दोनों के शेर लिखे। राहत इंदौरी ने CAA-NRC के मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा था कि यह देश किसी व्यक्ति विशेष, पार्टी या धर्म की संपत्ति नहीं है। राहत इंदौरी ने एक शेर लिखा था।
'लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है,
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं, ज़ाती मकान थोड़ी है,
सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है!
राहत इंदौरी की यह पंक्तियां सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों का नारा बनी और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में इसे खूब गाया गया।
साइनबोर्ड पेंटर से करियर की शुरुआत करने वाले राहत इंदौरी उर्दू के प्रोफेसर भी रहे। बाद में वे शेरो-शायरी करने लगे। उनकी शायरी के बढ़ते प्रभाव ने उन्हें बॉलीवुड तक खींच लाया। उन्होंने एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्मी गाने लिखे हैं। फिल्म खुद्दार का गीत तुमसे कोई प्यारा, कोई मासूम नहीं है, काफी लोकप्रिय हुआ था। उनकी कुछ मशहूर फिल्मी गीतों के बोल इस प्रकार हैं-
एम बोले तो मास्टर मैं मास्टर (फ़िल्म- मुन्नाभाई एमबीबीएस)
बुम्बरो बुम्बरो श्याम रंग बुम्बरो (फ़िल्म- मिशन कश्मीर
देखो-देखो जानम हम, दिल अपना तेरे लिए लाए (फ़िल्म-इश्क़)
नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम तूने (फ़िल्म- इश्क़)
राहत इंदौरी साहब का शेर कहने का तरीका बेहद निराला था, वो युवाओंसे लेकर बुजुर्गों तक की महफिल की शान हुआ करते थे। उनकी आवाज इतनी बुलंद थी कि मंच पर आते ही लोगों को खामोश कर देते। जब वो शेर पढ़ते तो अक्सर आसामां की तरफ देखते, जैसे मानो वह अवाम से ही नहीं बल्कि खुदा से भी बातें कर रहे हों। वो अक्सर अपनी शायरी से सत्ता को ललकारते रहे हैं।
राहत इंदौरी के दोनों फेफड़ों में 60 प्रतिशत तक निमोनिया हुआ था। इसलिए उन्हें कृत्रिम श्वसन प्रणाली पर रखा गया था। उन्हें उच्च स्तर की एंटीबायोटिक एवं नवीनतम एंटीवायरल दवाएं भी दी गई थीं। अस्पताल प्रशासन ने बयान में बताया कि इंदौरी, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के साथ हृदय एवं किडनी के पुराने रोगों से पहले ही जूझ रहे थे। वह सोमवार शाम आई रिपोर्ट में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।
राहत को याद करते हुए कवि कुमार विश्वास ने भी एक किस्सा शेयर किया। उनके साथ मंच साझा करने वाले कुमार विश्वास ने बताया कि बहरीन की एक महफिल में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के श्रोता साथ में थे। तभी राहत ने एक शेर पढ़ा। उन्होंने कहा 'मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना।'
राहत इंदौरी की पत्नी सीमा राहत ने बताया कि वो शायरी के साथ-साथ खाना भी पहुत अच्छा पकाते थे। बतौर सीमा राहत इंदौरी साहब अकसर किचेन चले जाया करते थे और कुछ बनाया करते थे। उन्हें गोश्त बनाने का बहुत शौक था। सीमा ने नम आंखों से उन्हें याद करते हुए कहा कि उनके साथ जिंदगी में कई सफर किए। सभी सफर यादगार रहा। पांच बार उमराह कर चुकी हूं। उन्होंने कहा कि शायर की बीवी होना फख़्र की बात है।
बेटे सतलज ने राहत इंदौरी साहब का आखिरी शेर मीडिया से साझा किया है। वो इस प्रकार है-
नए सफ़र का जो ऐलान भी नहीं होता,
तो ज़िंदा रहने का अरमान भी नहीं होता/
तमाम फूल वही लोग तोड़ लेते हैं,
जिनके कमरों में गुलदान भी नहीं होता/
ख़ामोशी ओढ़ के सोई हैं मस्ज़िदें सारी,
किसी की मौत का ऐलान भी नहीं होता/
वबा ने काश हमें भी बुला लिया होता
तो हम पर मौत का अहसान भी नहीं होता...
रविवार (9 अगस्त) की रात खांसी, बुखार और घबराहट होने पर राहत इंदौरी को सीएचएल अस्पताल लाया गया था। जांच में उन्हें निमोनिया से ग्रस्त पाया गया था, तब डॉक्टरों ने भर्ती होने की सलाह दी थी। बाद में उन्हें कोविड हॉस्पिटल अरबिंदो में भर्ती किया गया। देर रात कोरोना की पुष्टि हुई। अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी के मुताबिक, जब इंदौरी अस्पताल में भर्ती हुए थे तब शुगर बढ़ी हुई थी। हालांकि, मंगलवार सुबह तक सेहत में सुधार होने लगा था लेकिन अचानक दोपहर में उन्हें हार्ट अटैक आया। सीपीआर देने पर कुछ सुधार हुआ। दो घंटे बाद दूसरा अटैक आ गया और उन्हें बचाया नहीं जा सका।
जाने-माने उर्दू शायर डॉक्टर राहत इंदौरी मंगलवार (11 अगस्त, 2020) रात साढ़े नौ बजे छोटी खजरानी (इंदौर) कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिए गए। इंदौरी ने मंगलवार शाम पांच बजे अंतिम सांस ली थी। उन्हें कोरोना वायरस भी था। मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित एक अस्पताल में वह भर्ती थे। उन्हें दो बार दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। अस्पताल के डॉक्टर विनोद भंडारी ने बताया, "राहत इंदौरी को दो दिल के दौरे पड़े थे, पर हम उन्हें नहीं बचा सके। उन्हें कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद रविवार को अस्पताल लाया गया था। उन्हें 60 फीसदी निमोनिया भी था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उर्दू के मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर गहरा शोक जताया है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि इंदौरी एक मशहूर शायर के साथ ही बेहतरीन शख्सियत थे। अपनी शायरी और नज्म की बदौलत वह प्रशंसकों के दिलों पर राज करते थे। उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिये भी कई गीत लिखे थे। उनके निधन से साहित्य और उर्दू शायरी के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुयी है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है। चौहान ने ट्वीट किया, ‘‘अपनी शायरी से लाखों-करोड़ों दिलों पर राज करने वाले मशहूर शायर, हरदिल अज़ीज़ श्री राहत इंदौरी का निधन मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है।’’
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है। चौहान ने ट्वीट किया, ‘‘अपनी शायरी से लाखों-करोड़ों दिलों पर राज करने वाले मशहूर शायर, हरदिल अज़ीज़ श्री राहत इंदौरी का निधन मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है।’’
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है। चौहान ने ट्वीट किया, ‘‘अपनी शायरी से लाखों-करोड़ों दिलों पर राज करने वाले मशहूर शायर, हरदिल अज़ीज़ श्री राहत इंदौरी का निधन मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है।’’
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिलअजीज शायर राहत इंदौरी के निधन पर शोक जताते हुए इसे उर्दू शायरी के लिए बड़ा नुकसान बताया है।
मशहूर शायर राहत इंदौरी के जाने से मुशायरे की शान फीकी पड़ गई। देश के कवियों, लेखकों, साहित्यकारों ने जाने-माने शायर राहत इंदौरी के निधन पर दुख जताया है।
राहत इंदौरी साहब शब्दों से उत्साह बढ़ाने में हमेशा आगे रहे हैं। उनके शब्द 'तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो', कई बार मुशायरों में पढ़े गए।
कोरोना वायरस संक्रमण से मंगलवार को राहत इंदौरी का निधन होने के बाद अदब की मंचीय दुनिया ने वह नामचीन दस्तखत खो दिया है जिनका काव्य पाठ सुनने के लिये दुनिया भर के मुशायरों और कवि सम्मेलनों में लोग बड़ी तादाद में उमड़ पड़ते थे। हालांकि, यह बात कम ही लोग जानते होंगे कि एक जमाने में वह पेशेवर तौर पर साइन बोर्ड पेंटर थे।
इंदौरी के परिवार के करीबी सैयद वाहिद अली ने "पीटीआई-भाषा" को बताया, "शहर के मालवा मिल इलाके में करीब 50 साल पहले उनकी पेंटिंग की दुकान थी। उस वक्त वह साइन बोर्ड पेंटिंग के जरिये आजीविका कमाते थे।" अली ने बताया कि उर्दू में ऊंची तालीम लेने के बाद इंदौरी एक स्थानीय कॉलेज में इस जुबान के प्रोफेसर बन गये थे। लेकिन बाद में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और वह अपना पूरा वक्त शायरी और मंचीय काव्य पाठ को देने लगे थे।
गुलाब, ख्वाब,
दवा, जहर, जाम
क्या-क्या है
मैं आ गया हूं,
बता इंतजाम
क्या क्या है
‘‘उर्दू शायरी में बुलंदियों को छूने वाले राहत इंदौरी का चला जाना बहुत बड़ा ही नहीं बल्कि पूरे का पूरा नुकसान है क्योंकि ज़नाब मुशायरे की जान थे और मुशायरा ही लूट लेते थे।’’ लोगों के ख़यालों और जज़्बातों को शब्दों में बांध कर शायरी के जरिये पेश करने वाले, उर्दू शायरी के अज़ीमोशान फ़नकार राहत इंदौरी के निधन पर उन्हें याद करते हुए यह पंक्तियां प्रख्यात गीतकार और रचनाकार गुलज़ार ने कहीं। राहत इंदौरी का आज मंगलवार को कोविड-19 महामारी के कारण निधन हो गया। इंदौरी के इस दुनिया से चले जाने की खबर पर गुलज़ार ने कहा ‘‘यह केवल बड़ा नुकसान नहीं है बल्कि उससे कहीं ज्यादा है। मुझे नहीं पता कि कितना बड़ा....।’’ गुलज़ार ने कहा ‘‘कोई अभी अभी वह जगह खाली कर गया जो केवल मुशायरे की थी। उर्दू शायरी आज के मुशायरे में राहत इंदौरी के बगैर पूरी नहीं है। एक वही थे जो इतनी बेहतरीन शायरी कहते थे।’’
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है। चौहान ने ट्वीट किया, ‘‘अपनी शायरी से लाखों-करोड़ों दिलों पर राज करने वाले मशहूर शायर, हरदिल अज़ीज़ श्री राहत इंदौरी का निधन मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है।’’
उन्होंने बताया कि इंदौरी को पिछले पांच दिन से बेचैनी महसूस हो रही थी और डॉक्टरों की सलाह पर जब उनके फेफड़ों का एक्स-रे कराया गया, तो इनमें निमोनिया की पुष्टि हुई थी। बाद में जांच में वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये थे।
शायरी की दुनिया में कदम रखने से पहले, इंदौरी एक चित्रकार और उर्दू के प्रोफेसर थे। उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिये गीत भी लिखे थे और दुनिया भर के मंचों पर काव्य पाठ किया था।
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिलअजीज शायर राहत इंदौरी के निधन पर शोक जताते हुए इसे उर्दू शायरी के लिए बड़ा नुकसान बताया है। इंदौरी का मंगलवार को इंदौर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनका कोरोना वायरस संक्रमण के लिए इलाज चल रहा था। वह 70 वर्ष के थे। राज्यपाल मिश्र ने इंदौरी के निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, ‘‘विख्यात उर्दू शायर और गीतकार राहत इंदौरी के निधन से उर्दू गीत एवं शायरी जगत में उत्पन्न निर्वात की भरपाई लंबे समय तक संभव नही होगी।’’ मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने शोक संदेश में कहा कि उर्दू अदब में राहत इंदौरी का अपना एक अलग मकाम था। उनका अंदाज-ए-बयां अलग था और उनकी शायरी में बेबाकी थी। देश के मौजूदा हालात को भी वे अपनी शायरी में बड़े खूबसूरत अंदाज में पेश करते थे।
सैम्स के छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि डोसी ने बताया, "इंदौरी के दोनों फेफड़ों में निमोनिया था और उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था।" उन्होंने बताया, "सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें आईसीयू में रखा गया था और ऑक्सीजन दी जा रही थी। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद हम उनकी जान नहीं बचा सके।"
इंदौरी के बेटे और युवा शायर सतलज राहत ने अपने पिता की मौत से पहले मंगलवार सुबह "पीटीआई-भाषा" को बताया था, "कोविड-19 के प्रकोप के कारण मेरे पिता पिछले साढ़े चार महीनों से घर में ही थे। वह केवल अपनी नियमित स्वास्थ्य जांच के लिये घर से बाहर निकल रहे थे।"
70 वर्षीय शायर ने मंगलवार सुबह खुद ट्वीट कर अपने संक्रमित होने की जानकारी दी थी। इंदौरी ने अपने ट्वीट में यह भी कहा था, "दुआ कीजिये (मैं) जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं।"
इंदौर के डीएम मनीष सिंह के हवाले से समाचार एजेंसी "पीटीआई-भाषा" की खबर में कहा गया, "कोविड-19 से संक्रमित इंदौरी का अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) में इलाज के दौरान निधन हो गया।" उन्होंने बताया कि इंदौरी हृदय रोग, किडनी रोग और मधुमेह सरीखी पुरानी बीमारियों से पहले से ही पीड़ित थे।