Rafale Jet Deal Case में Congress के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना का मामला गुरुवार (14 नवंबर, 2019) को बंद कर दिया। Supreme Court ने फैसले के दौरान राहुल को सावधानी बरतने की हिदायत देते हुए छोड़ दिया, पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के मंत्रियों ने उन्हें लपेटे में लिया और जमकर लताड़ा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि राहुल की ‘चोर’ वाली टिप्पणी गैर-जिम्मेदाराना थी और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

केंद्रीय कानून मंत्री और BJP नेता रविशंकर ने कोर्ट के निर्णय पर कहा कि कांग्रेस पार्टी औपचारिक रूप से देश से मांफी मांगे और राहुल को भी देश से मांफी मांगनी चाहिए। राहुल ने आम चुनाव के प्रचार के दौरान राफेल डील केस में SC की बात को गलत तरीके से पेश किया था, जो कि राजनीति का सबसे निचला स्तर है।

इसी बीच, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने #RahulRaFAIL के साथ ट्वीट किया, “टॉप कोर्ट के फैसले ने फिर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर पीएम मोदी और सरकार के दृढ़ संकल्प की पुष्टि की है। उम्मीद है कि कांग्रेस व उसके पूर्व चीफ झूठ फैलाना बंद करेंगे। साथ ही राष्ट्र निर्माण और देश की सुरक्षा के प्रति सकारात्मक योगदान देंगे।”

वहीं, भगवा पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा बोले- सड़क से संसद तक राहुल और उनकी पार्टी ने देश को इस मुद्दे पर भटकाने की कोशिश की, पर सच सामने आ ही गया। मैं चाहता हूं कि राहुल इस देश से माफी मांगे।

क्या है पूरा मामला?: दरअसल, राहुल पर अवमानना का यह केस राफेल डील प्रकरण में PM मोदी के खिलाफ पूर्व कांग्रेस चीफ के कथित बयान ‘चौकीदार चोर है’ को गलत तरीके से SC के हवाले से कहे जाने से जुड़ा था।

CJI रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के.एम जोसेफ की बेंच ने कहा कि राहुल की टिप्पणियां सच से कोसों दूर थीं। उन्हें इससे बचना चाहिए था और वह अधिक सावधानी बरत सकते थे।

ताजा मामले में बेंच बोली कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी पुष्टि के बगैर ही अवमाननाकर्ता (राहुल) ने PM के खिलाफ कतिपय टिप्पणियां कीं।