MSP के लिए कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा-गैर राजनीतिक (SKM-NP) के बैनर तले प्रदर्शनकारी किसानों ने नौ घंटे के बंद का आह्वान किया था। जिसके चलते सोमवार को पंजाब थम गया। केएमएम और एसकेएम-एनपी के अलावा, एसकेएम के दो घटक – क्रांतिकारी किसान यूनियन (केकेयू) और बीकेयू डकौंडा (धनेर) ने भी बंद के आह्वान का समर्थन किया।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से एक दिन पहले आया है, जिसमें वह किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को इलाज मुहैया कराने के पंजाब सरकार के प्रयासों का जायजा लेगा, जो 35 दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। डल्लेवाल ने इलाज से इनकार कर दिया है और उन्हें अस्पताल ले जाने के प्रयासों का विरोध किया है।
पंजाब में 250 से ज़्यादा जगहों पर सड़कें जाम
सोमवार को सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक बंद के दौरान पंजाब में 250 से ज़्यादा जगहों पर सड़कें जाम की गईं और ट्रेनें रोकी गईं। वंदे भारत समेत 172 रेल सेवाएं रद्द कर दी गईं और 232 रेल सेवाएं प्रभावित हुईं। बड़ी संख्या में दुकानें और इंडस्ट्रियल यूनिट्स भी बंद रहीं।
केकेयू के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा, “हमारे संघ ने बंद के आह्वान का समर्थन किया और 12 जिलों में हमारे सदस्यों ने इसमें भाग लिया। हम शंभू और खनौरी सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की सभी मांगों का पूरा समर्थन करते हैं।”
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Punjab: लोगों ने बंद का समर्थन किया
शंभू रेलवे स्टेशन पर बीकेयू क्रांतिकारी की महासचिव सुखविंदर कौर ने धरने का नेतृत्व किया और एनएच-152 पर मोहाली के डैपर टोल प्लाजा पर, धरने का नेतृत्व किसान नेता बलजीत कौर ने किया। केएमएम और एसकेएम-एनपी के समन्वयक सरवन सिंह पंधेर अमृतसर में थे, जहां सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन (32) हुए। इसके बाद पटियाला में 12, मोगा में 10 और संगरूर में नौ विरोध प्रदर्शन हुए। पंधेर ने कहा कि लोगों ने बंद का समर्थन किया और किसी को भी अपना परिसर बंद करने के लिए मजबूर नहीं किया गया।
बीकेयू डकौंडा (धनेर) ने दोनों मंचों के समर्थन में बरनाला, संगरूर और मनसा में लगभग 12 स्थानों पर सड़क को अवरुद्ध कर दिया, संघ के अध्यक्ष मंजीत सिंह धनेर ने इसकी पुष्टि की।
पंजाब में बंद रहे बाजार और कारखाने
चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग्स (CICU) के अध्यक्ष उपकार सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि कई जगहों पर ट्रैक्टर और ट्रॉलियों से सड़कें जाम होने के कारण मजदूरों को कारखानों में जाने से रोक दिया गया। उन्होंने कहा, “अधिकांश कारखाने या तो काम नहीं कर सके या आंशिक रूप से संचालित हुए। हम इस तरह के बंद का समर्थन नहीं करते हैं। अगर बाजार या कारखाने बंद थे, तो ऐसा नहीं है कि लोगों ने उन्हें जानबूझकर बंद किया। उनमें से एक बड़े प्रतिशत को मजबूरी में ऐसा करना पड़ा क्योंकि उन्हें कार्यस्थल तक पहुंचने की अनुमति नहीं थी। हम किसानों के साथ हैं लेकिन उन्हें उद्योगों के साथ भी होना चाहिए।”
पंजाब बंद के कारण नुकसान 500 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता
एसोसिएशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्रियल अंडरटेकिंग्स (एटीआईयू) के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने कहा, “आज के बंद के कारण होने वाला नुकसान 500 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। पिछले कुछ सालों में इस तरह के व्यवधान बढ़ने लगे हैं और इससे भविष्य के निवेश पर असर पड़ सकता है, जिससे राज्य के साथ-साथ बाहर के निवेशकों का भी भरोसा डगमगा सकता है।”
हालांकि पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल ने बयान जारी कर कहा था कि वे बंद के खिलाफ हैं, लेकिन लुधियाना शहरी क्षेत्र को छोड़कर अधिकांश जिलों में बाजार बंद रहे।
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के महासचिव सुनील मेहरा ने कहा, “राज्य पहले से ही आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। कानून-व्यवस्था की अस्थिरता के कारण बाहर के व्यापारी पंजाब में निवेश करने से कतरा रहे हैं। कभी फलते-फूलते कारोबार में भी गिरावट आने लगी है। इसलिए हम किसानों से अपील करते हैं कि वे इस बात को समझें कि किसान और व्यापारी दोनों ही पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप ऐसे कामों से बचें जो एक वर्ग को नुकसान पहुंचाते हैं और दूसरे वर्ग को फायदा पहुंचाते हैं।” देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE ब्लॉग