पंजाब कांग्रेस में विवाद के बीच शनिवार (18 जुलाई, 2021) को पार्टी महासचिव और सूबा प्रभारी हरीश रावत सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू को मिलवाने सरकारी चॉपर से चंडीगढ़ गए।

रावत शनिवार दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ पहुंचे थे। वहां से सीधे मुख्यमंत्री के मोहाली स्थित फार्म हाउस गए, जहां सीएम से इस मुद्दे पर चर्चा की। वह दर्शाना चाहते थे कि सीएम को विश्वास में ले लिया गया है सिद्धू की नियुक्ति उनकी मंजूरी से ही होगी। लेकिन रावत अपने एजेंडे में आंशिक तौर पर ही सफल हुए। वह सीएम और सिद्धू की भेंट न करा पाए।

दरअसल, रावत ने अमरिंदर से सिद्धू से मिलने के लिए कहा था, पर सीएम ने साफ इन्कार कर दिया। कहा कि सिद्धू जब तक सार्वजनिक माफी नहीं मांगते हैं, तब तक वह उनसे मुलाकात नहीं करेंगे। हालांकि, रावत से भेंट बाद सीएम बोले कि पार्टी चीफ सोनिया जो फैसला करेंगी, वह सबको स्वीकार होगा।

सूत्रों ने बताया, सीएम ने रावत से कहा कि पीपीसीसी चीफ की नियुक्ति के मसले को जिस प्रकार पार्टी हाईकमान ने संभाला है, वह उससे खुश नहीं हैं। उन्हें मालूम पड़ा कि समयपूर्व घोषणाएं की गईं और खबरें “लीक” हुईं। जिस तरीके से मल्लिकार्जुन खड़गे पैनल बना उसे लेकर भी उन्होंने अपने नाखुशी जताई।

उधर, सिद्धू ने भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष सुनील जाखड़ से मुलाकात की। दोनों के बीच मुलाकात आधे घंटे से ज्यादा समय तक चली और इसके बाद सिद्धू ने जाखड़ को बड़ा भाई और मार्गदर्शक बताया। वहीं, जाखड़ ने सिद्धू को सक्षम व्यक्ति करार दिया। दिल्ली के बाद चंडीगढ़ में मुलाकातों का यह सिलसिला उस वक्त शुरू हुआ जब शुक्रवार को अमरिंदर सिंह ने सोनिया को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया कि सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावनाओं को झटका लग सकता है।

पूर्व क्रिकेटर सिद्धू के लिए पीसीसी अध्यक्ष पद का रास्ता साफ तो हुआ पर सीएम के इस रुख की वजह से कांग्रेस हाईकमान उनके नाम के नियुक्ति का ऐलान न कर सकी। बता दें कि सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की इकाई का प्रमुख बनाया जा सकता है और उनके साथ दो या फिर नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है।