पुणे में एक सरकारी प्रोजेक्ट को लेकर भाजपाई मंत्री और पार्टी आमने सामने नजर रही है। पार्टी का कहना है कि पावना पाइपलाइन बनकर रहेगा जबकि भाजपाई मंत्री का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के लिए इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। मावल प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसनों की आठवीं बरसी पर राज्य के श्रम और पर्यायवरण मंत्री बाला भेगड़े ने गुरूवार को कहा कि पिंपरी-चिंचवड म्युनिसिपल कारपोरेशन की चार सौ करोड़ की लागत वाले पावना पाइपलाइन प्रोजेक्ट को किसान लागू नहीं होने देंगे। वहीं, भाजपा की पिंपरी-चिंचवड इकाई का कहना है कि यह प्रोजेक्ट होकर रहेगा। मंत्री बाला भेगड़े मावल सीट से विधायक हैं उनका कहना है कि हमने इस प्रोजेक्ट का आठ साल से विरोध किया है। किसान इस प्रोजेक्ट को लागू नहीं होने देंगे। पावना पाइपाइल के मुद्दे पर भारतीय किसान संघ के साथ प्रदर्शन करने वाले बाला भेगड़े ने साल 2014 में मावल सीट से चुनाव जीता है।

गौरतलब है कि साल 2011 में इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस ने गोली चला दी थी। इस दौरान तीन किसानों की मौत हो गई थी जिसके बाद राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर तुरंत रोक लगा दी थी। इस घटनाक्रम के आठवें साल पर किसानों ने मारे गए किसानों की याद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया।400 करोड़ रुपये की इस परियोजना में पिंपरी-चिंचवाड़ से कम से कम 35 किमी दूर स्थित पावना बांध से बंद पाइपलाइन के जरिए सीधे पानी उठाने की योजना है। पिंपरी-चिंचवाड़ में रावत तक पाइपलाइन बिछाई जाएगी। परियोजना से पीसीएमसी को 1 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी) अधिक पानी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

भेगड़े का कहना है कि अगर इस परियोजना को लागू किया जाता है तो इस क्षेत्र का काफी आर्थिक नुसान होगा। भेगड़े का कहना है कि ,तलेगांव और देहू रोड क्षेत्र के लोग बांध के पानी पर बहुत निर्भर हैं। 70 गाँव और दो MIDCs हैं जिनमें सैकड़ों छोटी, मध्यम और बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ हैं। लोगों की आजीविका खेत की पैदावार पर निर्भर करती है, जो भूजल स्तर नीचे जाने और कुओं और झीलों के सूख जाने पर गंभीर रूप से प्रभावित होगी। कम से कम 18,000 एकड़ की कृषि भूमि प्रभावित होगी। इसके अलावा, मावल में ग्रामीण क्षेत्र तेजी से शहरीकृत हो रहे हैं, जिसका मतलब है कि अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष चला गया था, जिसने जल संसाधन प्राधिकरण को यह मामले सौंपा था। जल संसाधन प्राधिकरणने फैसला किया था कि पीसीएमसी एक साल में आठ महीने के लिए बंद पाइपलाइन से पानी उठा सकती है और चार मानसून महीनों के दौरान नदी से पानी उठाना सकती है। उन्होंने कहा कि किसानों ने इस फैसले को ठुकरा दिया था और किसानों ने मावल के गहुंजे में एक बांध बनाकर वहां से पानी उठाने की सलाह दी थी। हालांकि पीसीएमसी ने इस सुझाव पर  कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पीसीएमसी बीजेपी के पास है। बीजेपी के सेक्रेटरी सारंग कामेटकर का कहना है कि हम इस परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हमे पूरा विश्वास है कि यह प्रोजेक्ट होकर रहेगा।

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हमने इस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से हस्तक्षेप करने को कहा है। कामेटकर का कहना है कि स्थानीय स्तर पर यह मामला नहीं सुलझाया जा सकता इसलिए हमने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने के लिए कहा है। एनसीपी पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि साल 2011 में एनसीपी की वजह से यह मुद्दा जटिल हो गया था। कामेटकर का कहना है कि एनसीपी ने किसानों की अनुमति के बिना उनकी जमीन लेने की कोशिश की। उनको बिना विश्वास में लिए ही उनकी जमीन पर इस पाइपलाइन को शुरू करने की कोशिश की। इसके चलते किसानों में आक्रोश है। म्युनिसिपल कमिश्नर  श्रवण हार्दिकर का कहना है कि  इस परियोजना से शहर को एक टीएमसी पानी अधिक मिलेगा। लोग को स्वच्छ जल के साथ जिन इलाकों में पानी की कमी है वहां भी पानी पहुंचाया जा सकेगा।